________________ पञ्चम प्रस्ताव / .me.m.............dikhaitani.kistind २५५माला imaintinion उसी क्षण उसके हाथका दर्द दूर हो गया। उसने हर्षित होकर कहा,"भाई ! मुझे ऐसा मालूम होता है, कि तुम्हीने मेरे ऊपर तलवार चलाया था।" वत्सराजने यह बात स्वीकार की। इतने पर भी देवीने सन्तुष्ट होकर कहा,-"भाई ! मैं तुम्हारी हिम्मत देख, बड़ी खुश हुई, इसलिये तुम्हारी जो इच्छा हो, मांग लो।" वत्सराजने कहा,-"यदि तुम सचमुच मेरे ऊपर प्रसन्न हो, तो इस महलके ऊपरी हिस्से में रहनेवाली दोनों कन्याएं, अश्वरूपी यक्ष और सर्व कामदा पर्यङ्क-इतनी चीज़े मुझे दे डालो।" यह सुन, देवीने सोचा,-"यह मेरा घर फूटनेसे ही ये चीजें मांग रहा है, नहीं तो इसे इन चीज़ोंकी क्या ख़बर थी?" ऐसा . विचार कर वह बोली, -“हे सत्पुरुष ! मैं ये सब चीजें तुम्हें दे चुकी ; परन्तु ज़रा सावधान होकर उन दोनों कन्याओंकी उत्पत्तिका हाल सुनो,- . ___ "वैतादय-पर्वत पर चमरचश्चा नामक नगरी में गन्धवाहगति नामका एक विद्याधर राजा रहता था। उसके सुवेगा और मदनधेगा नामकी दो स्त्रियाँ थीं। उनकी कोखसे क्रमशः रत्नचूला और स्वर्णचूला नामकी दो कन्याएं पैदा हुई / जब वे दोनों युवावस्थाको प्राप्त हुई, तब राजाको उनके विवाहकी चिन्ता पड़ी-वे इसके लिये व्याकुल होने लगे / इसी समय वहाँ एक ज्ञानी मुनि पहुँच गये / उस समय राजाने उन्हें बड़ी भक्तिके साथ एक आसनपर बैठा, प्रणाम कर. पूछा,–“हे पूजनीय ! मेरी इन दोनों पुत्रियोंके स्वामी कौन होंगे ? इसपर मुनिने ज्ञानसे मालूम कर कहा- 'एक मनुष्य - राजकुमार, जिसका नाम वत्सराज है, इन दोनोंका स्वामी होगा; परन्तु हे राजन् ! इनका विवाह तुम्हारे जीते जी नहीं होगा, क्योंकि तुम्हारी आयु आजसे . सिर्फ एक महीनेकी और बाफ़ी है।' यह सुन, राजाने पूछा,-'तो अब मैं क्या करूँ ?' मुनिने कहा,- “राजन् ! सुनो-वह वत्सराज कैसे इनका स्वामी होगा, वह भी मैं बतलाये देता है। पहले तुम्हारे एक बहन थी। उसे तुम्हारे पिताने अपने मित्र शूर नामक भूचर-राजाको व्याह दिया था। इसके बाद शूर राजाने एक दूसरी सुन्दर रूपवतो-राजकुमारीले विवाह Jun Gun Aaradhak Trust P.P. Ac. Gunratnasuri M.S.