________________ पञ्चम प्रस्ताव / उन्होंने मुझे इतने लम्बे अर्से के बाद याद किया, इसका क्या कारण है ? यह कह, उन्होंने मुझे कितने ही दिनोंतक बड़े आदरसे अपने पास रखा / स्वामी ! मुझे आपका सेवकही समझकर उन्होंने मेरी इतनी ख़ातिर की। आपके ही प्रेमके अनुरोधसे उन्होंने ये सब अलङ्कार, जो मेरे शरीर पर मौजूद हैं, मुझे दिये हैं। और आपके विश्वासकेही लिये उन्होंने मेरे साथ-साथ अपना यह द्वारपाल भेज दिया है।" यह सुन, राजाने उसके सामने गुष्टि की / उसकी पलकहीन दृष्टि देख, राजाको इस बातका विश्वास हो गया। इसके बाद व्यन्तरेन्द्रने कहा,-"हे महाराज ! यमराजने मेरी मार्फत आपको कहला भेजा है कि इसी तरह बराबर मेरे पास अपना आदमी भेजा करेंगे-मैं आपसे मिलनेके लिये आना चाहता हूँ, पर इन्द्र छुट्टी नहीं देते; क्योंकि यहाँ मेरे बिना इन्द्रका घड़ीभर भी काम नहीं चल सकता / इसलिये आपही मुझसे मिलने आइये / सच पूछिये तो, आनेही जानेसे प्रीति बढ़ती है। यह सुन, सब राजपुरुष वहाँ जानेके लिये उत्कण्ठित हो गये। तब यमराजके द्वारपालने कहा,-"तुममेंसे जो लोग वहाँ चलना चाहें, घे मेरे साथ-साथ चलें / " इसके बाद राजा आदि सभी लोग यमराजके घर जानेके लिये तैयार होकर उसी जलते हुए यमगृहके पास आये। वहाँ पहुँचकर यमराजके द्वारपालने कहा, "मेरे पीछे-पीछे सबलोग चले / आओ।" यह कह, वह आगसे भरी हुई खाईमें कूद पड़ा। इसके बाद राजाके हुक्मसे उनके चारों मुख्य मन्त्री भी कूदे / कूदतेही सबके सब ज़ल कर खाक हो गये / अन्तमें जब राजा उसमें कूदनेके लिये तैयार हुए, तब वत्सराजने उनका हाथ पकड़ कर उन्हें रोक दिया और कहा, "हे राजन् ! यह सब लोग जानते हैं, कि जो आगमें कूदता है, वह जलकर मर जाता है। पर मैं देवताके प्रभावसे जीता रह गया और उसीने मेरे शत्रुओंको धोखा देकर मौतके घाट उतार दिया है / इन लोगोंने आपको मुझे मार डालनेकी सलाह दी थी, इसीसे मैंने भी इन्हें मार डाला। कहा भी है, कि P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust