________________ षष्ठ प्रस्ताव। 261 म प्रातःकाल स्वयंवर-मण्डपमें हज़ारों राजा एकत्र हुए। उसी समय सुखासनपर बैठी हुई राजकुमारी वहाँ आ पहुँची और सब राजा ओंको देख-भाल कर गुणधर्मकुमारके गलेमें वर-माला डाल दी। तव ईशानचन्द्र राजाने और सब राजाओंको सम्मान सहित विदा किया तथा गुणधर्मकुमारके साथ अपनी कन्याका विवाह कर दिया। इसके बाद श्वसुरकी आज्ञा लेकर गुणधर्मकुमार अपनी पत्नीके साथ अपने नगरको आये और स्त्रीको एक अच्छेसे महलमें रखकर आप दूसरे महलमें चले गये। ___एक दिन कुमार रानीके पास बैठे हुए थे। इसी समय उसने कुमारसे पूछा, "हे स्वामिन् ! एकाध प्रहेलिका ( बुझौअल-पहेली) बुझाओ।" तब राजकुमारने कहा, "हे प्रिये! सुनो "स्थले जाता जले स्वैरं, याति तेन न पूर्यते / जनप्रतारिणी नित्यं, वद सुन्दरि ! का न्वसौ ? // 1 // " अर्थात्- 'जो स्थलमें तो उत्पन्न हुई है; पर जलमें मनमाने ढंगसे जाती-आती है और इतनेपर भी जलसे भरती नहीं है (डूबती नहीं है); साथही जो लोगोंको तारनेवाली है, वह कौनसी , चीज़ है, सो हे सुन्दरि ! बतलाओ।" - यह सुनकर कनकवतीने विचार कर कहा,-"नौका। इसके वाद उसने भी एक पहेली पूछी,.. पयोधरभराक्रान्ता, तन्वङ्गी गुणसंयुता / * नरस्कन्धसमारूढा, का प्रयात्यबलां बिना // 1 // ' " अर्थात्- 'पयोधरके * भारसे नम (झुकी हुई), पतले शरीरवाली, गुणसे युक्त ऐसी कौनसी चीज़ है, जो पुरुषके कन्धेपर चढकर जाती है ; पर वह स्त्री नहीं है ?' कुमारने इसके उत्तरमें कहा,-"कावाकृति ( काँवर ) / " * स्तन और पानीका घड़ा।. गुण और रस्सी / Jun Gun Aaradhak Trust P.P. Ac. Gunratnasuri M.S.