________________ पष्ट प्रस्ताव देरके बाद वह सारी मण्डली उसी मन्दिरमें चली गयो। वहाँ विद्याधरोंने जिनेश्वरका स्मानमहोत्सव किया। इसके बाद विद्याधरीके स्वामीने कहा,-"माज नाचने की यारी किसकी है ?" . यह सुनते ही सत्काल कनकप्रती बड़ी हो गयी और ओढ़नीको बराबर बांधकर, रङ्गमण्डपमें प्रवेश कर, हाव-भावके साथ मनोहर मृत्य करने लगी। अन्य तीनों कन्याओंमेंसे एक बीन बजाने लगी, दूसरी बासरी पजाने लगी और तीसरी ताल देने लगी। उस समय गुणधर्मकुमार अदृश्य रूपसे एक स्थानमें खड़े-खड़े आश्चर्यके साथ यह सब तमाशा देखने लगे। इतने में नाचती हुई कनकवतीकी करधनी टूट गयी और उसमें लगे हुए सोनेके घुघलकी एक लड़ी टूटकर पृथ्वी पर गिर पड़ी, जिसे कुमारने तत्काल उठाकर अपने पास रख लिया / नाच ख़तम होनेपर कनकपतीने . उसे इधर-उधर बहुत हूँढा, पर यह कहीं नहीं मिली। इसके बाद सब अपने-अपने घर चले गये। कनकवती भी अपनी दासियोंके साथ घर आयी। उसके साथ-ही-साथ कुमार भी छिपे-छिपे घर आये। कनकवतीने घर आकर विमानका लोप कर दिया। इसके बाद रातके पिछले पहर अपने घर जाकर कुमार सो रहे। इसके बाद दूसरे दिन सवेरे ही अपने मित्र मन्त्री-पुत्र मित्रसागरके हाथमें घुघरूकी वह लड़ी देकर कुमारने कहा, "हे मित्र ! यह घुघरूंका दाना तुम समय पड़ने पर मेरी स्त्रीके हाथमें देना / " इस प्रकार उसे सिखला पढ़ाकर कुमार उसे लिये हुए अपने प्रियाके पास आये। कनकवतीने तुरतही उठकर उन्हें बैठने के लिये आसन दिया। कुमार और उनके मित्र उसीपर बैठ रहे। इसके बाद कुमार अपनी स्त्रीके साथ जुआ खेलने लगे। कनकवती जीत गयी। जीतकर बोली, प्यारे ! तुम हार गये-अब मुझे कुछ हर्जाना दो।' यह सुनते ही कुमारने अपने मित्रकी ओर इशारा किया। उसने तुरतही अपने वलसे ... यह घुघरूकी लड़ी निकाल कर कनकवतीके हाथमें देदी। उसे देखतेही ‘भयभीत होकर कनकपतीने कहा, "यह तो मेरी है-तुम्हारे पास कैसे Jun Gun Aaradhak Trust P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. 38