________________ 274 श्रीशान्तिनाथ चरित्र / प्रभाधना करते थे। अन्तमें वे सिंहनिक्रीड़ित नामक तप-कर्मका आचरण करते थे। - इसके बाद राजर्षि मेघरथ, पूरे एक लाख घर्ष तक निरतिचार , चारित्रका पालन कर, अन्तमें अनशन करते हुए अपने छोटे भाईके साथ, तिलकाचल पर्वत पर जा, समाधि-पूर्वक इस मलिन देहका त्यागकर सर्वार्थसिद्धि नामक पाँचवें अनुत्तर विमानमें तेंतीस सागरोपमके आयुष्यवाले देव हुए। Dirs AGRIRONE SAMS RAM P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust