________________ श्रीशान्तिनाथ चरित्र। उनको पहचान गयी और उनके कामका हाल मालूम कर, उसी समय एक कमण्डलुमें जल भर लायी। उसे लेकर वत्सराज नगरमें भाये और राज सभामें जा, वह जल उन्हें दे दिया। उस समय देवताके प्रभावले वह जल ऊँचे स्वासे बोल उठा,-"क्यों राजा ! मैं तुम्हें खा जाऊँ ? अथवा तुम्हारे मंत्रियों को ही खा जाऊँ ? अथवा तुम्हें युरी सलाह देनेवाले किसी और मनुष्यको ही खाऊँ ?" जलको इस प्रकार बोलते देख, सभी सभासद आश्चर्यमें पड़ गये। राजा तो अपना मतलब सिद्ध न हुआ देखकर खने लगे, तो भी ऊपरसे दिखावेके लिये हँसकर बोले,-"अहा ! वत्सराजके आगे कोई काम असाध्य नहीं है। यह कह, राजाने उन्हें विदा किया और वे अपने घर चले आये। . . - इसके बाद राजा फिर अपने मन्त्रियोंके साथ बैठे, और उसकी जान लेनेका उपाय सोचने लगे। उस समय चार मन्त्रियोंने राजाले कहा,"हे देव ! आप अपनी कन्या श्रीसुन्दरीके विवाहके बहाने दक्षिण दिशामें यमराजका घर बनवाइये और उसीके अन्दर जाकर यमराजको निमन्त्रण देनेके लिये वत्सराजको भेजिये ; आपका काम बड़ी आसानीसे बन जायेगा.। . उनकी बतलायी हुई तरकीब सुनकर राजा बड़े प्रसन्न हुए और उन मन्त्रियोंकी प्रशंसा करते हुए बोले, -“वाह ! तुम लोगोंने बड़ी अच्छी तरकीब बतलायी !" इसके बाद उन दुष्ट मन्त्रियोंने नगरकी दक्षिण दिशामें एक गहरी खाई खुदवायी और उसमें लकड़ी भरकर आग लगा दी। इतना कर चुकनेपर उन्होंने राजाको सूचना दी। तब राजाने सब वीरोंके साथ-साथ वत्सराजको भी बुलवाया। पहले तो राजाने और-और वीरों को बुलाकर कहा, "हे वोगे! मेरी पुत्री श्रीदेवीका विवाह है, इसलिये मुझे यमराजको निमन्त्रण देना है / इसलिये इस अग्नि. से भरी हुई खाईकी राहसे यमराजके घर जा, उन्हें न्यौता दे आओ। यह सुन, और-और लोगोंने कहा,-"स्वामी! यह काम हमलोगोंसे नहीं होगा।" जब उन्होंने ऐसाटकासा जवाब दे दिया, तब राजाने वत्सराजसे कहा। "सुनतेही वत्सराजने वह काम करना स्वीकार कर लिया P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust