________________ .: पञ्चम प्रस्ताव। . "यह पर्यङ्क कहाँसे आया !. और यह घोड़ा. इस महलकी सातवीं मंज़िल पर कैसे चढ़ आया ?" इसी विस्मयमें पड़ी हुई वह भली भाँति चारों ओर देखने लगी। उसी समय उसने दोनों त्रियोंके साथ शय्यापर बैठे हुए अपने पतिको देखा। यह देख, श्रीदत्ताने परम प्रसन्नताके साथ अपने पिताके पास जाकर कहा,-"महलके ऊपरवाले हिस्से में मेरे स्वामी आ पहुँचे हैं।" यह सुन, सेठने ज़रा सहमकर पूछा,-"बेटी! वे इस तरह कैसे आये ?" तब उसने पर्यङ्क और अश्व आदि जो चीजें देखी थीं, उनकी बात बतलायी। यह सुन, सेठ भी घबराया हुआ तत्काल वहाँ आ पहुँचा। वत्सराजने अपने दोनों पत्नियोंके साथ सेठको प्रणाम किया। इसके बाद सेठके पूछनेपर कुमारने उससे सब कुछ कह दिया। यह सुन, आश्चर्यमें आकर सेठने सिर हिलाया। उस दिन वहीं रह कर दूसरे दिन सवेरे ही वत्सराज अपनी तीनों प्रियाओंके साथ उसी पर्यङ्कपर बैठ, सेठकी आज्ञा ले, अपने घरकी राह नापी। 4. उस समय धारिणी और विमलाने अपने घरमें आया हुआ पर्यत __ देख, सोचा,–“यह शय्या किसकी है ! इसपर कौन सोया हुआ है ?" ऐसा विचार कर, उन्होंने ऊपरकी चादर हटाकर देखा, तो उनका पुत्र वत्सराज, अपनी तीनों स्त्रियोंके साथ, सोया नज़र आया / यह देख, शर्माकर, वे दोनों धीरे-धीरे पीछे लौट गयीं। उस समय उनके मनमें बड़ा आश्चर्य हुआ / थोड़ी देर बाद तीनों पत्नियों के साथ वत्सराज जग पड़े और शय्या छोड़ कर उठ खड़े हुए। तब उन दोनोंने अत्यन्त हर्षित हो, उन्हें आशीर्वादोंकी बौछारसे ढांकते हुए, उनसे सारा वृत्तान्त पूछा, जिसके उत्तरमें वत्सराजने अपनी वह आश्चर्यजनक रामकहानी कह सुनायी। . इसके बाद उसी सर्व-कामप्रद पर्यङ्कसे एक उत्तम घाँघरा मांगकर, उसे लिये हुए वत्सराज राजाके पास पहुंचे और उन्हें प्रणाम कर वह घाँघरा रानीको देनेके लिये दे दिया। उसे लेकर रानीने परम सन्तु होकर आशीर्वाद दिया,-"वत्स ! तेरी लम्बी आयु हो।" राजाने Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.