________________ .. .. .. 28. श्रीशान्तिनाथ चरित्र / के प्रभावसे मुझे कौनसा फल प्राप्त होगा ? " राजाने विचार कर उत्तर दिया,--“दे देवी ! इस स्वप्नके प्रभावसे तुम्हें पुत्र होगा और वह राज्यकी धुराधारण करनेवाला तथा परम भाग्यवान् होगा। " इस प्रकार स्वप्न का फल सुनकर धारिणी देवी बड़ी प्रसन्न हुई / क्रमसे समय पूरा होने पर शुभ मुहूर्तमें रानीके पुत्र पैदा हुआ / बालक जब दस दिनोंका हुआ, तब राजाने अपने सब स्वजनोंको बुलवा कर, उन्हें भोजन तथा वस्त्र और ताम्बूल आदि दे, सम्मानित कर, उन लोगोंके सामनेही स्वप्न के अनुसार उस पुत्रका नाम वत्सराज रखा। वह भी धीरे-धीरे बढ़ता हुआ आठ वर्षका हो गया / तब राजाने उसको सूक्ष्म बुद्धिवाला जान कर, उसे कालाचार्यके पास पढ़नेके लिये भेजा। वहीं उसने सब कलाओंका अभ्यास कर लिया। - एक बार राजा वीरसिंह शरीरमें दाह ज्वरादि महाव्याधियां हो जानेके कारण बड़े दुःखित हुए / सारा राज-परिवार उन्हें इस प्रकार विषम रोगसे पीड़ित देख, परम दुःखित हो गया। उस समय सब लोग इकट्ठे होकर विचार करने लगे,–'यद्यपि राजकुमार देवराज उमरमें बड़े हैं, तथापि गुणोंके कारण यह वत्सराजही बड़े हैं / इसलिये यदि वत्सराजही राजा हों. तो बहुत अच्छा है। " लोगोंकी यह बात सुन, देवराजने एक मन्त्रीको अपने मेलमें लाकर, हाथी घोड़े और पैदल सैनिकोंको अपनी मुट्ठीमें कर लिया। लोगोंके मुँहसे यह वृत्तान्त सुन, बीमार होने पर भी, वीरसिंह राजाने कहा, “ओह ! उस मन्त्रीने बहुत बुरा किया; क्योंकि राज्य पर बैठनेके बोग्य तो वत्सराज ही है." देवराज योग्य नहीं है। पर मैं ऐसी हालतमें पड़ा हूँ, इसलिये क्या करूं, कुछ समझमें नहीं आता।" यही कह कर राजा, आयु क्षय होनेके कारण मृत्युको प्राप्त हो गये / इसके बाद सब लोगोंकी मर्जीके खिलाफ़ देवराजने पिताकी गद्दी पर दखल जमा दिया। विनयादि गुणोंसे युक्त वत्सराज, देवराजको पिताकी तरह मानते हुए, उन्हें प्रणाम करते और तरह-तरहसे उनका आदर-सम्मान करते / देवराजके पक्ष P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust