________________ . पञ्चम प्रस्ताव / 242 - अर्थात्-जिसने ब्रह्माको ब्रह्माण्ड रूपी भाण्ड के उदर में कुम्हार की तरह नियमित कर रखा है, जिसने विष्णुको निरन्तर दशावतार- रूपी गहन संकटमें डाल रखा है, जिसने महादेवको हाथमें खप्पर लेकर भीख माँगनको मजबूर कर रखा है और जिसके करते सूर्य मिस्प आकाशमें चक्कर लगाया करता है, उस कर्मको प्रणाम है।' ___. “ऐसाही विचार कर, अपने ऊपर दुःख आ पड़ने पर उसकी चिन्ता नहीं करनी चाहिये / " इतनी बातें कह कर रानीने बड़े हर्षसे अपनी दोनों बहनोंसे कहा,--"प्यारी बहनो! तुम पुत्र सहित इसी हाथी परं सवार हो, मेरे घर चलो" रानीकी यह बात सुन, उन दोनोंने सेठसे कहा, “सेठजी! यदि आपके घर रहते हुए हमलोगोंने आपका कुछ अपराध किया हो, तो उसे क्षमा करना / " सेठने कहा,-"मैंने महज़ मामूली बनिये होकर आप लोगोंसे सेवा करवायी, इसके लिये आपही लोग मुझे क्षमा करें।" यह कह, वह उनके पैरों पर गिर पड़ा। इसके बाद वे दोनों वत्सराजके साथही रानीके आग्रहसे राजमन्दिरमें आयीं। उस समय राजाने उन लोगोंके रहनेके लिये एक अच्छासा मकान दे दिया, जिसमें सब सामग्री भरी हुई थी। इसके बाद उन्होंने वत्सराजसे कहा,-"बेटा ! अब मैं तुम्हें क्या हूँ ?" घत्सराजने कहा,-- "हे स्वामी! मैं दिन भर आपकी सेवा करूँगा। रातको आप मुझे घर चले जानेकी आशा दे दीजियेगा। बस मैं आपसे इतनी ही प्रार्थना करता हूँ और कुछ मुझे नहीं चाहिये।" यह सुन, राजाने उनकी बात मान ली। इसके बाद घत्सराज राजाकी सेवा करने लगे। राजाने उनके घरमें अमाज-पानी घी, आदि सब चीजें भरवा दी। लोग सुखसे वहाँ रहने लगे। .. एक दिन रातको भूलसे राजा वत्सराजको छुट्टी देना भूल गये। कायदेके मुताबिक पहरेदार राजमहलके चारों तरफ भाकर बैठ गये। 2. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust