________________ 232 श्रीशान्तिनाथ चरित्र। MARAurvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvv... इसके बाद वत्सराज संध्यातक वहीं रह गये। इसीलिये सब गोरू-बछरू, कोई रखवाला न होनेके कारण, आपसे आप झुण्ड बाँधे / समयसे पहलेही घर चले आये। यह देख, सेठने विमला और धारिणी-- से पूछा, "आज ये जानवर इतनी जल्दी घर कैसे चले आये ? इसका क्या कारण है ? तुम्हारा पुत्र अभी तक आया है या नहीं ?" यह सुन, विमलाने कहा,-'इन बछरोंके इतनी सिदौसी घर चले आनेका कारण तो मैं नहीं जानती ; पर वत्सराज अभी तक घर नहीं आया है / " इतनेमें सांझको वत्सराज घर लौटे / उनकी माता और मासीने पूछा,"बेटा ! आज तूने इतनी देर कहाँ लगायी ?" उन्होंने कहा, "हे माता ! बछड़ोंको चरते छोड़कर मैं सो गया था। किसीने मुझे जगाया ही नहीं, इसलिये जब आपसे. आप नींद खुली, तब चला आया हूँ।" इसपर वे दोनों बहनें कुछ न बोली। इसके बाद दूसरे दिन भी वह कलाभ्यासमें ही अटके रह गये, इसलिये उस दिन भी गोरू-बछरू जल्दीसे घर आ गये। तीसरे दिन भी यही हाल हुआ। तब सेठने विमला .. और धारिणीको चेतावनी देते हुए कहा,--"वत्सराज रोज़ इन गोरूबछरुओंको छोड़कर न जाने कहाँ चला जाता है / जानवर रोज़ समयसे पहले ही घर चले आते हैं।" यह सुनकर, वे उस दिन वत्सराजके घर आतेही क्रोधके साथ बोल उठी,-"बेटा ! क्या तू यह भूल गया है, कि हम इस परदेशमें आकर परायेके घर नौकरी कर रहे हैं. ?. हमें : भोजन भी बड़ी मुश्किलोंसे मिल रहा है। ऐसी अवस्थामें तू हम लोगोंको बातें क्यों सुनवाता है ?" यह सुन, वत्सराजने. अपनी. मासीसे कहा,-"तुम लोग सेठसे कह देना, कि अब मैं बछड़ों को चरानेके लिये नहीं ले जाऊँगा।” यह सुन, उसकी माताने सेठसे जाकर कहा,"मेरा पुत्र अभी बालक है, इसीलिये अल्हड़पनके कारण खेल-कूद - करने लगता है। इससे जानवरोंकी चरवाही. भली भाँति नहीं बन पड़ती। हम दोनोंने उससे लाख कहा ; पर वह लड़कपनके मारे कुछ सुनताही नहीं।" उन दोनोंने जब यह बात रो-रोकर कही, तब दया P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust