________________ 160 श्रीशान्तिनाथ चरित्र / लोग इस कुऐ को रवाना कर देंगे / " यह सुनकर, राजाने सोचा, कि इसकी बुद्धितो बड़ी ही तीव्र है / यह कोई मामूली बुद्धिमान नहीं है। तदनन्तर एक दिन राजाने कहला भेजा.-"हेग्रामवासियो ! तुम्हारे / गांवकी उत्तर दिशा में जो वन है, उसे गाँवके दक्खिन कर दो।" इसपर रोहकने जवाब दिया, कि गाँवको वनके उत्तर बसा दीजिये, बस वह वन गाँवके दक्खिनमें आ जायगा।" यह सुन, राजाने विचार किया, कि यह तो बड़ाही होशियार है। फिर एक दिन राजाने हुक्म दिया, कि बिना आगके सहारे खीर पकाकर मेरे पास भेज दो। यह सुन, रोहकने जङ्गलके कण्डोंके बीचमें बड़े-यत्नसे खीरका बर्तन रख दिया। उन कण्डोंकी गरमीसे खीर पककर तैयार हो गयी। रोहकने उसे ही राजाके पास भिजवा दिया / इस तरह राजाफे इस हुक्मकी भी तामिल हो गयी। ___इसके बाद राजाने गांवके लोगोंको कहला भेजा,-"तुम्हारे गांवमें जो ऐसा बुद्धिमान मनुष्य है, उसे इस प्रकार परस्पर विरुद्ध व्यवस्था करके मेरे पास आनेको कहो। वह व्यवस्था इस प्रकार है:वह स्नान करके नहीं आये ; पर साथही शरीरको मलिन बनाये हुए भो नहीं आये। वह नतो किसी वाहन पर चढ़ा हुआ आये, न पैदल आये ; न टेढ़ी राह आये, न सीधी राह ; न रातको न आये; न दिनको न कृष्ण पक्षमें आये, न शुक्ल-पक्षमें ; न छायामें आये, न धूपमें ; न कुछ भेटके लिये ले आये न खाली हाथ आये।” इस प्रकारकी आज्ञा पाकर रोहकने जलसे शरीरको धोया सही; पर खूब देह मलकर स्नान नहीं किया। वह एक बकरे पर सवार होकर चला, जिससे उसके पैर ज़मीनसे छू जाते थे। अमावास्याके उपरान्त प्रतिपदाके दिन, सन्ध्याके समय सिरपर चलनी रखे,गाडीको लीकके बीचसे चलता हुआ वह हाथमें एक मिट्टीकापिण्ड लिये हुए राजसभामें आ पहुंचा। राजाको प्रणाम कर वह उनके सामने बैठ गया और मिट्टीका वह पिण्ड उनके पास रख दिया / राजाने यह पूछा,-"यह क्या? उसनेकहा, यह इस जगत्कीजननी र P.P.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust