________________ श्रीशान्तिनाथ चरित्र। पास आये और उनकी वन्दना की। उनसे धर्मदेशना श्रवणकर उन्हें प्रतिबोध प्राप्त हुआ और उन्होंने अपने शतबल नामक पुत्रको राज्यपर बैठाकर आप उन्हीं मुनिसे दीक्षा ले ली। क्रमशः वे भी गीतार्थ हो / गये। इसके बाद वे अपने पिताके परिवारमें सम्मिलित हो गये और दोनों पिता-पुत्र विविध प्रकारकी तपस्याएँ करते हुए पृथ्वीपर विचरण करने लगे। अन्तमें वे दोनों मुनि ईषत्प्राग्भार नामक पर्वतपर आरोहण कर, वहीं पादपोगम-अनशन करने लगे। अनुक्रमसे शुभध्यानसे सब कर्माका क्षय कर, वज्रायुध और सहस्रायुध-ये दोनों ही मुनीश्वर नवें अवेयकमें जाकर देव हुए। OG AN ASRAWAH उन्नर:P P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust