________________ rane.rana श्रीशान्तिनाथ चरित्र। को खुलवाया / रोहकने राजाके सेवकोंके सामनेही कहा, "हे राजप. रुष! तुम लोग अपने राजाले जाकर कहो,कि हमारे गांवके पासही एक बड़ी ऊँची और लम्बी-चौड़ी शिला है। उस एकही शिलाका मैं राजमन्दिर तैयार करा दूंगा; पर इसके लिये आपको अक्षय धन-भण्डार यहाँ भेज देना होगा। उसे भेज दीजिये, तो काम शुरू कर दिया जाय ।”उसकी इस चतुराई-भरी बातको सुनकर, सबलोग उसकी बुद्धिमानी देख, बड़े हर्षित हुए। इसके बाद राजपुरुषोंने जाकर राजासे कहा, "हे महाराज ! एक बालकने आपकी बातका ऐसा जवाब दिया है।" वह जवाब सुनकर राजा भी बड़े विस्मित हुए। . एक दिन राजाने अपने एक नौकरके साथ एक बकरा भेजकर गाँववालोंको कहला भेजा, कि इसे हमेशा चारा-पानी देकर पालन करना होगा ; पर देखना, यह नतो दुबला हो न मोटा, हमेशा जैसाका तैसाही बना रहे / जब मैं मागु, तब यह इसी दशामें मेरे पास लौटाया जाय। यह सुनकर लोगोंने फिर रोहकको बलाकर पूछा, कि अब राजाके इस हुक्मकी तामील कैसे की जाये ? रोहकने कहा,-"इसे यहीं रखो और हमेशा खिला-पिलाकर इसे भेड़ियेकी सूरत दिखला दिया करो। इससे यह न तो बहुत मोटा होगा, न दुधला, इसी तरह राजाके इस हुषमकीभी पूरी तामील हो गयी। इसके बाद राजाने एक मुर्गा भेजकर हुक्म दिया, कि इसे अकेला ही लड़ाओ। यह सुन, सब लोग विचार करने लगे, कि यह अकेला भला कैसे लड़ेगा ? तब रोहकने कहा,-"इस महज मामूली बातके लिये तुम लोग क्यों चिन्ता करते हो?" उन्होंने कहा,-"तब तुम्ही इस कामको पूरा करो।" रोहकने कहा, "इसके सामने एक बड़ा सा आइना लाकर रख दो। यह उसमें अपनी परछाई देख, उसे दूसरा मुर्गा समझ कर आपही लड़ पड़ेगा। यह सुन, उन लोगोंने ऐसाही किया और राजाकी इस आशाका भी पालन हो ही गया। इसके बाद राजाने एक गाड़ीमें भर कर तिल भिजवाकर कहलाया, Ac.GunrathasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust