________________ चतुर्थ प्रस्ताव / 986 कि इन तिलोंको जिस मापसे भरना, उसी मापसे तेल भरकर देना होगा। यह सुनकर लोगोंने छोटा होनेपर भी रोहकको बुलवाया और उससे यह हाल कह सुनाया / उसने कहा, "एक बहुत दिनोंका पुराना तेलका बर्तन मंगवाकर उसीमें इन तिलोंको भरोऔर फिर उसी मापसे तेल भरकर दे देना।" लोगोंने ऐसा ही किया। इससे राजा बड़ेही खुश हुए। . __ इसके बाद राजाने एक दिन हुक्म दिया,-"अपने गाँवकी नदीकी रेतकीरस्सी बटकर धानका बोझा बाँधनेके लिये भेज दो।" इसके जवाब में रोहकने कहला भेजा,-"हमें तो राजाका जो कुछ हुक्म हो उसका पालन करना ही चाहिये ; पर वह रस्सी कितनी बड़ी होनी चाहिये, यह मालूम करनेके लिये आप वैसेही एक पुरानी रस्सीका नमूना भेज दीजिये, तो नयी रस्सियाँ बटकर भेज दी जायगी / " यह जवाब पाकर राजा बड़ेही खुश हुए। - तदनन्तर एक दिन राजाने एक बहुत बूढ़ा ओर बीमार हाथी भिजवाकर कहला भेजा कि इस हाथीको खूष जतनसे रखो और मुझे इसका समाचार बराबर भेजते रहो; लेकिन यदि यह किसीदिन मर जाये,तो भी मुझसे यह आकर न कहना कि यह मरगया।” यह सुनकर लोगोंने उस हाथीको रख लिया। बड़ी हिफाजतसे रखने पर भी वह हाथी मर गया। तब रोहकने गाँधके लोगोंसे कहला भेजा,--“हे स्वामी ! आज वह हाथी न तो चारा खाता है, न पानी पीता है, न करवट बदलता है, न आँखे खोलता है, न साँसे लेता है / " यह सुन राजाने पूछा,--तो क्या वह मर गया !" गाँववालोंने कहा, “यह तो हुजूर जानें, हमलोग नहीं जानते।" यह जवाब पाकर राजा चुप हो गये। . एक दिन राजाने फिर आज्ञा जारी की, कि तुम्हारे गाँवमें जो. मीठे जलवाला कुआँ है, उसे यहाँ ले आओ। इसपर रोहकने निवेदन किया,-"महाराज! यह गवई -गाँवका कुआँ बड़ाही डरपोंक है,इसलिये आप वहाँसे एक शहर / कुआं यहाँ भेज दें, तो उसीके साथ हम P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust