________________ चतुर्थ प्रस्ताव। आप द्वारपालकी तरह दरवाजे पर खड़ा हो रहा। इतने में कुछ आदमियोंको साथ लिये हुए उस नगरीका राजा घोड़ेपर सवार हो, उसी रास्तेसे गुज़रने लगा। उसे देख, रोहकने बड़ी धृष्टताके साथ कहा,-- . "हे राजकुमार ! क्या आप इस प्रासाद श्रेणीसे सुशोभित नगरीको ध्वंस कर देना चाहते हैं, जो इधरसे घोड़ा हटाकर नहीं ले जाते ?" यह सुन, उसको अङ्कित की हुई नगरीको देख, उसकी बुद्धिमानीसे आश्चर्यमें आकर राजाने कहा, "यह लड़का कौन है ?" उनके पास खड़े सेवकोंने . कहा,-"महाराज ! यह रङ्गशूर नटका बेटा रोहक है। है तो जरासा लड़का ही ; पर बड़ा ही होशियार है।" यह सुन, राजाने अपने मनमें विचार किया,-"अच्छा, मै इस बालककी बुद्धिमानीकी परीक्षा करूँगा।" तदनन्तर पिताके आनेपर रोहक उसके साथही अपने घर चला आया / एक दिन राजाने अपने सेवकों को नट-ग्राममें भेजकर यहाँके लोगोंपर यह फर्मान जारी किया, कि चाहे जितना खर्च हो जाय; लेकिन मेरे रहनेके लिये एकही चीज़का एक महल तैयार कर डालो। यह हुक्मनामा सुन, रङ्गशूर वगैरह सभी बड़े-बूढ़े लोग इकट्ठे होकर विचार करने लगे और यह कार्य करने में असमर्थ होकर बड़ी देरतक विचार ही करते रहे। इतनेमें भोजनका समय होजानेके कारण रोता हुआ रोहक आकर बोला, -- "पिताजी ! चलो, मुझे भूख लगी है। मैं तुम्हारे बिना भोजन नहीं करूंगा।” यह सुन, रङ्गशूरने कहा,-"बेटा! थोड़ी देर ठहरो। राजाका बड़ा विकट हुक्मनामा आया है / इस समय उसीका विचार चल रहा है।" रोहकने पूछा,-"कैसा हुक्मनामा आया है ? लोगोंने कहा, "उन्होंने कहला भेजा है, कि मेरे लिये एकही चीज़का एक महल तैयार कराओ। इसलिये उनकी हुक्मकी तामील तो कर'नीही होगी।" यह सुन, रोहकने कहा 'अभी चलकर आप सबलोग खायें-पियें, पीछे मैं आप लोगोंको इसका जवाब दूंगा। इसके लिये इतनी चिंता की क्या आवश्यकता है। यह सुन, गांवके सबलोग खाने चले गये / खा-पीकर जब सब लोग फिर इकट्ठे हुए, तब उन्होंने रोहक Jun Gun Aaradhak Trust P.P. Ac. Gunratnasuri M.S.