________________ . 178 श्रीशान्तिनाथ चरित्र / ढूंढ़ निकालूंगी। यदि ऐसा न कर सकी, तो आगमैं जल मरूंगी।" अपनी बेटीकी यह बात सुन, पिताने उसको उसी समय मर्दका बाना पहना दिया। मर्दका जामा पहन, बहुतसे आदमियोंको अपने साथ लिये / हुए, गुणसुन्दरी कुछ दिनोंमें गोपालकपुरमें आ पहुँची।। ___ उस नगरमें पहुँच कर उसने अपनेको गुणसुन्दर नामसे प्रसिद्ध किया। जहां-तहाँ लोग आपसमें कहने लगे, कि “गुणसुन्दर नामका एक सौदागरका लड़का यहाँ आया हुआ है।" इसके बाद वह सेठकी लड़को उसी पुरुष वेशमें भेंट के लिये तरह-तरहकी अद्भुत वस्तुएँ लिये हुई राजसभामें आयी। राजाने भी उसकी बड़ी ख़ातिर की। इसके बाद वह वहीं रह कर मालकी खरीद-विक्री करने लगी। ... धीरे धीरे उसने पुण्यलारसे भी मैत्री कर ली। इससे सारे नगर में उसकी प्रसिद्धि हो गयी और लोग जहाँ-तहाँ कहने लगे,-"वल्लभीपुरसे जो गुणसुन्दर नामका नौजवान सौदागर यहाँ आया है, वह बड़ा ही विद्वान्, रूपवान् और गुणवान है। उसके समान रूप और गुणमें / विलक्षण पुरुष दूसरा कोई नहीं दिखाई देता।" उसकी ऐसी प्रशंसा सुनकर रत्नसार सेठकी पुत्री रत्नसुन्दरीने अपने पितासे कहा,-"पिता जी! आप मेरा व्याह इसी गुणसुन्दर कुमारके साथ कर दीजिये / " अपनी बेटीका यह अभिप्राय मालूम होतेही सेठने गुणसुन्दरीके पास आकर कहा, "हे कुमार ! मेरी पुत्री रत्नसुन्दरी तुम्हें ही अपना स्वामी बनाया चाहती है।" यह सुन, उसने अपने मनमें विचार किया, --- "उसकी यह इच्छा बिलकुलव्यर्थ है; क्योंकि भला स्त्रीके साथ स्लीका विवाह कैसे हो सकता है ? इनकी गृहस्थी कैसे चलेगी? इसलिये इसे कुछ जवाब देकर टाल दूं; नहीं तो उस बेचारीकी भी मेरीही सी हालत होगी।" ऐसा विचार कर, उसने सेठसे कहा,-"ऐसी अवस्थामें / कुलीन मनुष्योंको अपने माता-पिताकी आज्ञा ले लेनी परम आवश्यक है, और मेरे मां-बाप यहाँसे बहुत दूरपर हैं, इसलिये आप तो अपनी पुत्री- . का विवाह यहीं यहीं पासमें रहनेवाले किसी वरके साथ कर दीजिये। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust