________________ श्रीशान्तिनाथ चरित्र। राजाने अपने मनमें विचार किया,- “अबकी बार यदि वह दुष्ट पक्षी फिर आया, तो मैं उसे मारकर ढेर कर दूंगा / " इसी विचारसे . उन्होंने एक हाथसे चाबुक पकड़े हुए, दूसरे हाथसे फिर उस पात्रमें - ‘पानी भरा। यह देख, उस पक्षीने सोचा,– “यह राजा क्रोधमें आ ; गया है। इसलिये यदि मैं इस बार इसके हाथसे जल नीचे गिराऊँगा, तो यह ज़कर मुझे मार डालेगा / और यदि मैं इस जलको नहीं गिरा देता, तो इस जहरीले पानीके पीनेसे राजा ज़रूरही मर जायेगा / अत. .. एव मैं भले ही मर जाऊँ पर इस राजाको तो जिला ही देना अच्छा . है।" ऐसा विचार कर उसने फिर राजाके हाथका पत्र-पुट नीचे 1. गिरा दिया। राजाने भी तत्कालही चाबुक मारकर उसकी जान ले - ली। इसके बाद राजाने फिर हर्षित-चित्तसे उस पात्रमें जल भरना : शुरू किया। इसबार जल बड़ी देर-देर पर टपकने लगा। यह देख, : विस्मित हो, राजाने उचक कर पेड़ पर चढ़कर देखा, कि उस पेड़के / खखोडरमें एक अजगर सोया हुआ है। यह देख, राजाने अपने मनमें :: विचार किया,- "अरे ! यह तो जल नहीं, बल्कि सोये हुए अजगरके मुंहसे निकलता हुआ विष है / इसे यदि मैंने पी लिया होता, तो अब '' तक कभीका मर चुका होता / ओह ! उस पक्षीने मुझे बार-बार मने .. किया, पर मैं मूर्ख उसका मतलब नहीं समझा / हा ! मेरी ही मूर्खतासे . वह बेचारा परोपकारी पक्षी मेरे ही हाथों मारा गया।" राजा इसी . प्रकार पश्चात्ताप कर रहे थे, कि इतने में उनके सिपाही आ पहुँचे और . " अपने स्वामीको देख, बड़े प्रसन्न हुए / इसके बाद राजा भोजन कर, जलपान करनेके अनन्तर उस मरे हुए पक्षीके साथ-साथ अपने नगरमें चले आये। वहाँ नगरके बाहरही एक बाग़ीचे में उस पक्षीका चन्दनकी लकड़ियोंसे शव-संस्कार करा, राजाने उसे जलांजलि दी और अपने घर आकर शोक मनाने लगे। यह देख, सब मन्त्रियों और सामन्तों आदिने उनसे पूछा,-- "हे नाथ ! आपने इस. पक्षीका. मरण संस्कार किस लिये किया ? " यह सुन, राजाने सारा हाल अपने आदमियों P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust