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युद्ध एवं सैन्य व्यवस्था
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लगभग दो फुट लम्बा सुनार की फूकनी के आकार का वाद्य यन्त्र होता था जिसे हवा भरकर बजाया जाता था।' रण में युद्ध की स्थिति पर भी वाद्ययन्त्रों के सङ्गीत का विशेष प्रभाव पड़ता था। 'वीरता' को सञ्चारित करने वाले सङ्गीतस्वरों का विशेष महत्त्व था । हम्मीर महाकाव्य में शत्रुपक्ष द्वारा हम्मीर के वाद्ययन्त्र बजाने वाले लोगों को धन आदि देकर फोड़ लिया गया था फलतः उन्होंने ऐसी सङ्गीत संयोजना की जिससे अश्व युद्ध करने की अपेक्षा नृत्य करने लगे।
भारतीय सैन्य शक्ति के क्षीण होने के कारण
सैन्य शक्ति की दुर्बलता का मुख्य कारण था-सैनिक शक्ति का क्षीण होना। सैनिक शक्ति के क्षीण होने के भी कई राजनैतिक, सामाजिक एवं धार्मिक कारण हो सकते हैं। राजनैतिक कारणों में राजा के आदर्शों का पतन होना मुख्य कारण था । दण्डनीति का आडम्वर कर मिथ्यारोपों द्वारा पड़ोसी राज्यों पर आक्रमण करना भारत की राजनैतिक एकता के लिये महान् अभिशाप सिद्ध हुआ । साम तथा दान नीति के प्राश्रय स्थल शक्तिहीन राजा थे। भारवि के किरात का 'अरिषु हि विजयार्थिनः क्षितीशा: विदधति सोपधि सन्धिदूषणानि' (१.४५) का इसी ओर संकेत है कि किसी भी प्रकार से कपटपूर्वक सन्धिभङ्ग का आरोप लगाकर आक्रमण किया जा सकता है। भारतीय सैनिकों में राष्ट्रवाद की भावना समाप्त हो गई थी।४ श्री कुपलैण्ड का कथन है कि भारत पर इतनी सरलता से विदेशियों का अधिकार पा जाने का प्रधान कारण है उनसे लड़ने के लिये समस्त हिन्दू राज्यों में सैनिक एकता का अभाव ।५ सेना में अन्धविश्वास बढ़ गया था। युद्ध में जाने से पूर्व ज्योतिषी से यह सुनने पर कि आज उनका ग्रह शुभ नहीं है राजा युद्ध में ही नहीं जाते थे। सैन्य व्यवस्था में कई दोष आ गये थे। सी० वी० वैद्य के मतानुसार वर्णविषमता भारतीय सैन्य व्यवस्था के लिये हानिकारिक सिद्ध हुई । ऐतिहासिकों के मतानुसार भारतीय अश्वारोही सेना
१. मजूमदार, भारतीय सेना का इतिहास, पृ० २२२ २. हम्मीर०, ३.५४, ५६-६० ३. मजूमदार, भारतीय सेना का इतिहास, पृ० २८३ ४. Vaidya, C.V., Down fall of India, p. 451 ५. Coupland, R. India (A Re--statement), p. 6 ६. मजूमदार, भारतीय सेना का इतिहास, पृ० २८६ ७. वही, पृ० २८६