Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

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Page 675
________________ विषयानुक्रमणिका पुरुषसूक्त ४५६ पुरुषायत्त प्राचारसंहिता ४६४, ५०८ पुरुषायत्त समाजव्यवस्था ४५६, ४६४, ५०६ ८८, पुरुषार्थ २२,८८, ३४, ४०२ पुरोहित / पुरोधस् ६०, ७२, १, ६५, १०६, ११०, ११३, ११४, ११८, १५३, १६४, २०४, २३५, ४२७ १५४, ३३४, पुरोहित ( रत्न) १९४ पुरोहित वर्ग १५८, ३६८ पुरोहितवाद ५१, ३१५, ३१६, ३१८ इसका विरोध ३१८ पुलिन्द (भील) १६५, १६६, १७६, २०६, २२५, २३६, २३६ पुलिन्द (जाति) १०४, १६५,१६६, २२५, २५८ पुलिन्दपति १४६ पुलिन्द युद्ध १६५ पुलिस कमिश्नर ११६ पुलिस सुपरिन्टेण्डेन्ट ११६ पूजा-पद्धतियाँ ३१४, ३१५, ३२० द्रष्टव्य जैन पूजा विधियां पूर्वजन्म ३३३, ४००, ४०१ पूर्वजन्म के कर्म ४०१, पाप ३३३, संस्कार ४०० पूर्व नियोजित विवाह ४७५ पूर्व साहित्य ( जैन ) ३३५ ६४१ पूर्वाग्रहपूर्ण स्वयंवर विवाह ४६०, ४६१ पृथ्वी १११, १६६, ३३०, ३८७, ३६६, ४०० सप्तद्वीपा १११ पृथ्वीपाल १५२, १५३ पेटिका निर्माण (व्यवसाय) २३२ पा० पैतृक सम्पत्ति के अधिकारी ४५६ पौर २६६, २६७, २६६, २७०, पुर का निवासी २७०, पुर का शासक २७०, राज्य की संवैधानिक समिति २७० पौरजानपद २६६, २६७, २६ε नगर प्रतिनिधियों की संगठित समिति २६८, संवैधानिक निर्णय कर्त्री समिति २६६ पौरजानपदजन २६६ पौरजानपद सिद्धान्त २६५, २६८, २७० २६८, पौरसभा २६ε पौराणिक ४२७ पौराणिक देवशास्त्र ३७०, ३७१, ३८६, ३६८, ३६६ पौरोहित्य व्यवसाय २०२, २०४, २०५ २४१ प्रकृतिबन्ध के प्राठ भेद ३६० ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय, मोहनीय, आयु, नाम, गोत्र तथा अन्तराय ३६० प्रकृति - सृष्टि की प्रधान कारण ४५८

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