Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

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Page 709
________________ ६७५ विषयानुक्रमणिका सर्वज्ञ सिद्धि ३६६, ३९७ 'सामन्त' का राजनैतिक अर्थ सलिल क्रीड़ा २६, ३२, ३३, ५५, ८५, इसका शोषणपरक रूप ५७, ५६, १६२, १८८ । माण्डलिक तथा सामन्त राजाओं सविपाक निर्जरा २६३, ३६१ का ऐक्य, सामन्त प्रान्तीय सांख्य-तत्वव्यवस्था ३६६ । प्रशासक के रूप में ८७, निर्बल सांख्य दर्शन २५, ३७६, ३८०, प्रशासन में सामन्तों के स्वतन्त्र ३६५, ३६६, ४०५, ४५८ राज्य ८७, सामन्त राजानों इसका सत्कार्यवाद ३६५, द्वारा अनुग्रह प्रदर्शन ८५-८६, जटासिंह का आक्षेप ३६५,इसके सामन्तों द्वारा सैनिक सहायता प्रकर्ता जीव पर वीरनन्दि का आक्षेप . ३९५, बन्धाभाव के ८६, सामन्तों के संघ ८७ कारण मोक्षप्राप्ति असंभव सामन्त पुत्र (पद) १३० ३६५, प्रकृति के अचेतनत्व पर सामन्तबल ७१, ७२ प्राक्षेप ३६६ सामन्त युग ३०, ३१, ६८ सांवत्सरिक (पद) ११४ । सामन्त राजा ७७, ८५, ६८, ९६, सागार धर्म १४, ३२४-३२६, ३५६, ११०, १११, १२५, १३६, १४६, १४८, १५१, १८७, साधु-पद ३६० १६५, १६६, १९७, १९९, साधुओं की विद्याएं ४२३ २०६, २४०,४०७, ४८७,५०७ सान्धिविग्रहिक (पद) १०६, ११०, ' सामन्तवाद २८, ३३, ७७, १२४- ११४, ११५, १५३, १५४. सापेक्ष (भाव) ३७७ १४३, १९४-२०१, २०६, साम (नीति) ७५, ७६, ७७, ७८, २३६-२४१, २५३, २५५,५०७, ७६, ८२, ९५, १५०, १५१, ५०८ १५२, १५३, १८५ सामन्तवादी अर्थ व्यवस्था सामन्त ७३, ७८, ८४, ८५, ८७, १६४-२०१, ५०८, इसका ११०, १११, ११६, १२४, माथिक ढांचा १३२, १९६२२५, १३१, १३६, १४१, २०१, ग्राम प्रशासन के सन्दर्भ १५६, १६१, १९०, १६५, में महत्तर/महत्तम तथा कुटुंबी १६६, १९८, २०६, २३६- १२४-१४३, सामन्ती चरित्र २४१, २५३, २५५ १२७, १३७, १४६, सामन्ती सामन्त (पद) ११०, १११, ११६ अलंकरण १२६, १३४, सामन्ती सामन्तपद्धति ६६, ८५.८७, ६४, प्रवृत्ति ५३, ६६, १८५, १६०, १२४, १२६, १४८, ४८६,५१२ ५०८

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