Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

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Page 708
________________ ६७४ जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज सक्यानं निगमो २७८ समिति (समाजशास्त्रीय) ४, ६, ७, सग्रन्थ शिक्षक ४१३ सचिव (पद) १०६, ११०. ११२ समिति (दार्शनिक) ३६३, ३६० सती प्रथा का विरोध ४८३-४८४. समिति (वैदिक कालीन) २६८ ५०६ समुदाय ६, ७, ३४, ६५, ६६ : सत्कार्यवाद ३६५ सम्पत्ति का उपभोग ४७३ सन्धान काव्य ४६, ४७ सम्पत्ति का विकेन्द्रीकरण ४७३ द्विसन्धान ४६, ४७, त्रिसन्धान सम्पत्ति का हस्तान्तरण ४७३ ४६, चतुस्सन्धान ४६, पंच सम्पत्ति की अवधारणा ४७३ संघान, ४६, सप्त सन्धान ४६, सम्बाध २४३, २६३ चतुर्विशति सन्धान ४६ । पर्वत के शिखरस्थ निवास सन्निवेश २४२, २८० स्थान २६३, यात्रा के लिये सप्तद्वीप सिद्धान्त ५१० प्राये हुये लोगों का भावास सप्तभंग ३७८ २६३, इसमें चारों वर्गों के लोगों का निवास २६३ । सप्ताङ्ग राज्य ७० सम्भोग कला ४८० शासनतन्त्र के सात अङ्ग सम्यक्चारित्र ३६२ . स्वामी, अमात्य, राष्ट्र, जनपद, सम्यक्त्व ३७७ दुर्ग, कोष, दण्ड तथा मित्र ७० सम्यग्ज्ञान ३६२ सभागृह (मन्दिर)३४१ । सम्यग्दर्शन ३६२ सभाभवन २५२ सम्राट् (पद) १११ समभिरूढ नय ३८२ सम्वाह २४२, २६३, २८० समाज १-१७, २१-२४, २८-३१, अनाज रखने के भण्डार २६३ . ३४, ६५-६७, १००-१०२, सरः शोष (व्यवसाय) २३६ : १०५. १०६, १८६, २०३ सरस्वती (देवी) ५८, ६१, ६२, २०५, २४१, ३२६, ३३०, . ३३८, ३५४ ३६०, ३६८ सरावमालिका १०५. समाजधर्मी साहित्य ३ सरोवर निर्माण ३४६ समाजशास्त्र ३, ४, ५, ६, ७, १ सर्पबाण सदृश आयुध १८१ ११, १३, १५, १६, २०, २३, . सर्वज्ञवाद (मीमांसा) ३९६-३६७ २४, २९, ३०, ३४, ६४, ६५, । इसका जैन तार्किकों द्वारा ६६, २४१ खण्डन ३९६, पांच प्रमाणों से .. समावर्तन संस्कार ४१० इसकी अग्राह्यता ३६६

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