Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

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Page 713
________________ विषयानुक्रमणिका.. ६७६ सेनानी (पद) ११७ सेना के विभाग व प्रशासकीय सेनापति, ७२, १०६, ११०, ११२, अधिकारी १५३, १५४, राष्ट्र ११३, ११६, ११७, ११८, कूट सैन्य व्यवस्था १५४, १५३, १५४, १५८ चालुक्य व्यवस्था १५४, चाहसेनापति (रत्न) १६४ मान व्यवस्था १५४, १६५, सेना प्रयाण ५६, ५७, १५४, प्रतिहार व्यवस्था १५४, हर्ष १५७-१६३, २२२, २२७,२४६ कालीन व्यवस्था १५५, भरत प्रयाण के अवसर पर शकुन चक्रवर्ती की सैन्य व्यवस्था अपशकुन विचार १५७, १५८, सेना संचालन का क्रम १५८, सैन्य शक्ति की दुर्बलता १८५-१८८ १५६, सेना के साथ जाने वाली सोमनाथ (शिव) ३३६, ३४३, ४०४ स्त्रियां तथा अन्य लोग १५६, सोमनाथ का शिव मन्दिर ३७२ १६०, सेना प्रयाण सम्बन्धी सोमनाथ की पूजा ३३६, ४७४ अनुशासन हीनता १६० सोलह विद्याएं ४२४ सेना सञ्चालन ६४, १५७-१६० सौध ( चूने के मकान) २४८ सेना सात प्रकार की १५४ ____सामन्तों के २४८, श्रेष्ठियों के हस्ति सेना, अश्व सेना, रथ २४८ सेना, पदाति सेना १५४, वृष सौन्दर्य प्रसाधन १०२, १९२, १६५, सेना, गन्धर्व सेना तथा नर्तकी ११५, ३००-३०१, ३११, ४४५ सेना १५४ ४७३, ५०८ सैद्धान्तिक शिक्षा विधि ४१८, ४१६ पिंगल निधि के अन्तर्गत समासैनिक एकता का अभाव १८५ विष्ट, १९३, स्त्रियों द्वारा सैनिक भोग विलास १६१-१६२ अङ्ग-प्रत्यंग को सजाने की सैनिक वाद्य यंत्र १८४, १८५ प्रवृत्ति, ३०१, वृक्षों के उत्पादन सैनिक शिविर १६०-१६२, १६५, से प्राप्त प्रसाधन सामग्री ३०१, १२८, २२७ सुगन्धित द्रव्यों के लेप, रस, सैनिक शिविरों में वेश्यावृत्ति ४८२ पुष्प-पल्लव ३००-३०१, अङ्गों सैन्य पशु १५६, १६०, १६२, १६३ २२१, २२२ पर चित्रकारी की प्रवृत्ति ३०१ सैन्य व्यवसाय २०२, २०३, २०५- कज्जल १८२, ३०१ . २०७, २३८, २४१ कपूर लेप ३०१ सैन्य व्यवस्था २१, ११७, १४८, कस्तूरी रस चिह्न ३०१ १२४-१५४, १६५, १८५, २५७ कस्तूरी लेप ३०१

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