Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

View full book text
Previous | Next

Page 689
________________ विषयानुक्रमणिका ६५५ राजधानी २४२, २४३, २५६,२५७, गुर्जर-प्रतिहार ६९, ५१३, २८०, २८२ चन्द्रवंश १४४, २८७, चालुक्य राजधानी नगर २४६ १४३-१४५, १४६, ३२२, राजनीतिशास्त्र ५, ६६, ६७, ७४, ३२३, चाहमान . ६४, १४२७५, १६, १२२ १४४, १४७, १५४, २०६, राजनैतिक अराजकता ६६, १९४ ५३६, चोल ६६, पल्लव ६६, राजनैतिक षड्यंत्र १०५, ४४६, १४२, ३२३, ५१३, पाल ६६, ४७० . .: : : १४१, प्रतिहार १५४, भोजवंश राजनैतिक सङ्गठन ६६, ६७, ३३०, मौर्य १४६, १८६, राष्ट्र१८७ . ..: . कूट ६६, १३१, १५३, ३२२, राजन्य वर्ग २४८ . . ३२३, ५१३, वाकाटक ५१३, राजपुत्र (पद) ११०, १२० ' सोलङ्की ५६, १४४, हरिवंश राजपुरोहित ६० ३३०, होयसल वंश ३२३ राजपूत जाति २०६ राजा का स्वामित्व १६६ राजप्रासाद (राजमहल) २५२,४०७ राजाधिराजपरमेश्वर ८४ ४१६ राज (संस्था) ४, ८, २०, २१, ३०, इसका वास्तुशास्त्रीय विन्यास ६५-७१, १४, १००, १४६, २५२, इसमें विविध प्रकार के १४८, १६०, १९४, २००, गृहों का विन्यास, २५२, इसमें २०६, २७० कोशगृह, धान्यगृह, वस्त्रशाला, राज्य कुर १५१, २०५ औषधालय, प्रायुधागार, गज- राज्याभिषेक ६१, ६२, २००, शाला आदि का निर्माण २५२, २३३ ।। इसमें दुमंजिले से लेकर नौ राठौड़ १२६, १३४ मंजिले भवनों की स्थिति २५२ राणा १३४ राजमार्ग २५२, २५५, २८६, रामकथा ३६, ४२, ४७, ५२, ५३ . रायहारिण २४२, २८० राजवंश ५०, १२४, १४७, १४८, रावत/रोत १३४ १५३ राष्ट्र ४, ७, १६, २०, ७०, ९७, प्रलूपीय १०६, आन्ध्रसात- १२४, १२८, १९१, १९४, वाहन २९१, इक्ष्वाकु, ३३०, १६६, १६८, २७०, २७७, कदम्ब ३२३, खिलजी : १८४, २८१, ५१३ गंग ६६, ३२३, गुप्त १४१, राष्ट्रकूट शासनव्यवस्था १३१ ... ३४७

Loading...

Page Navigation
1 ... 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720