Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

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Page 705
________________ विषयानुक्रमणिका ६७१ शास्त्रार्थ विधि ४१६ ४१८, सैद्धान्तिक विधि ४१६, शाहजिति की निगमसभा २७२ आदिपुराणोक्त छह विधियां शाहिजितिये निगमश २७२ ४१६ शिकारी अर्थव्यवस्था १८६ शिक्षा १२, ६६, ८८, २४७, ४०७ शिकारी जाति १८९ शिक्षा का माध्यम- संस्कृत ४३१, शिक्षक ४१२, ४१३ ४३२ इसका स्वरूप ४१२, शिक्षकों शिक्षा का व्यवसायीकरण ४२६ के भेद ४१२, ४१३, शिक्षक शिक्षा की तीन धाराएं ४०८, ४०६ की योग्यताएं, ४१२, ४१३ ब्राह्मण संस्कृति की धारा शिक्षकों के दो प्रकार :-(१) ४०८, ४०६ जैन धारा ४०८, सग्रन्थ शिक्षक ४१३, (२) __४०६, बौद्ध धारा ४०८, ४०६ निर्ग्रन्थ शिक्षक ४१३, शिक्षक शिक्षा के केन्द्र २८६, ४०८, ४१६प्रशिक्षण ४१३ ४२० शिक्षक प्रशिक्षण ४१३, ४१४ शिक्षकों की जीविका ४१३ आश्रम ४१६, ४२०, तपोवन शिक्षण मनोविज्ञान : ४१६, विद्यामठ ४१६, राज प्रासाद ४१६, नगर ४१६, अग्रअनुभव ४१७, अपोह ४१६, हार ग्राम ४२० ४१७, अभ्यास ४१८, अवधारणा ४१७, ऊह ४१६, शिक्षा पाठ्यक्रम ४२०-४३७ ४१७, चिन्तन ४०८, ४१६, वैदिक शिक्षा पाठयक्रम ४२०तर्कणा ४१६, तथ्य स्थापना ४२१, बौद्ध शिक्षा पाठ्यक्रम ४२१, ४२२, जैन शिक्षा पाठ्य ४०८, धारणा ४१६, ४१७, क्रम ४२२-४२३, वर्णव्यवस्थानु४१६, पाठ ४१७, पुनरावृत्ति ४१६, मनन ४०८, ४१६, सारी पाठ्यक्रम ४२५, शिक्षा वाचना ४१६, श्रवण ४१६ का व्यवसायीकरण ४२६, ४१८, संशय निवारण ४१७, स्वतंत्र शाखा के रूप में ४१६, संग्रहण ४१६, ४१७, विद्याओं का विकास ४२६, शिक्षण विधियाँ ४०८, ४१६-४१६ ४२८, उच्चस्तरीय विषयों का पाठविधि ४१६, ४१७, पुनरा पाठ्यक्रम ४२८-४३६ वृत्ति विधि ४१७, प्रश्नोत्तर शिल्प (व्यवसाय) . २००, २०१, विधि ४१७, कण्ठस्थ विधि २०३, २०४, २०६, २३२, विधि ४१८, व्यावहारिक विधि २३३, २३८, २४०, २६१

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