Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

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Page 697
________________ विषयानुक्रमणिका श्रन्वीक्षिकी, त्रयी, वार्ता तथा दण्डनीति का अध्ययन ४३४, अर्थशास्त्र के रूप में षाड्गुण्य, त्रिविध शक्ति, का अध्ययन ४३४, उशनस् नीति शास्त्र की शिक्षा ४३४, राजनीति शास्त्र के उपदेष्टा ४३४ लक्षणशास्त्र ४२२ लाङ्गलविद्या ४२६ लिपिशास्त्र / लिपिकला ४२२, ४२४, ४२७ चौसठ प्रकार की लिपियां ४३१, तैंतीस प्रकार की लिपियां ४३१, अठारह प्रकार की लिपियाँ ४३१, लिपिविज्ञान एक स्वतन्त्र विद्या के रूप में ४३१ लेखनकला ४२७ वाको बाक्यम् ( वादविवाद ) ४०८ विद्या ४२० वार्त्ता (विद्या) ४२१, ४२४, ४३४ वार्षगुण ४२५ वास्तुशास्त्र / वास्तुकला २८४. ३११, ४२१, ४२२, वाहनविद्या ४३६ विज्ञान-टेक्नॉलॉजी ४२१, ४२२ विज्ञानविद्या ४२० वीणावादन कला ४२७ वेणुवादनकला ४२७ वेदविद्या २०४, २०६, २७१, ४१३, ४२०, ४२१, ४२२, ४२५, ४२८, ४२६ ૬૬ वैदिक पाठ एवं शाखाओं का अध्ययन ४२६, ऋग्वेदीय 'शाकल' पाठ, यजुर्वेदीय 'कठ' पाठ, अन्य शाखाएं ४२६ वेदाङ्ग / षडङ्ग २०४, ४१३, ४२०, ४२१, ४२५, ४२६ कल्प, छन्द, ज्योतिष, निरुक्त व्याकरण, शिक्षा ४२६, वेदाङ्ग शिक्षा का स्वरूप ४२६, वेदाङ्गों द्वारा वेदों का अध्ययन ४२६ वेदान्त विद्या ४२० व्याकरण २७०, ४०८, ४२०४२२, ४२८, ४३० शिक्षण विधियां ४३०, नाम प्रख्यात, उपसर्ग तथा निपात के रूप में व्याकरण शास्त्र का विभाजन ४३०, पाणिनि व्याकरण तथा वररुचि के वात्र्तिकों का अध्ययन ४४० श्रादिपुराण में व्याकरण शिक्षा ४३० व्यापार विद्या ४२१, ४२२ व्यायाम विद्या ४२७ व्यूहभेदनविद्या ४२६ व्यूहरचनाविद्या ४२६ शकुनशास्त्र ४२५, ४२६, ४५३, ४५४ शकुन ४५३, अपशकुन ४५३, ૪૪ शक्तिविद्या ४२६

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