Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

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Page 677
________________ विषयानुक्रमणिका वन्दरगाह २६० बन्दिजन / चारण १२२, १५७ बन्ध ( तत्त्व ) ३८४, ३६०, ३६१, ३६५, ३६६, परिभाषा ३६०, शुभाशुभ कर्मों का सम्बन्ध ३८४, ३६०, कर्मबन्ध के कारण इसके चार भेद ३६०, पुण्य का ३६०, इसमें पाप तथा अन्तर्भाव ३८४ बन्ध के चार प्रकार - ३६० प्रकृतिबन्ध, स्थितिबन्ध, अनु भावबन्ध, प्रदेशबन्ध ३६० बन्ध मोक्ष ४०२ बमसदृश आयुष १८३ बर्तन १६३, २३४ बल ७०-७३, ५०, १५६ षड्विध ७०, ७१,७२, २०६, चतुर्विध ७१, चतुरङ्ग बल ११३, श्रेणी बल ७२, सामन्त बल ७२ बल छह प्रकार के १५० शारीरिकबल, आत्मिकबल, सैन्य बल, अस्त्रबल, बुद्धिबल, प्रायुबल १५० बल / शक्तियाँ तीन प्रकार की ७३ विक्रमबल ( उत्साहशक्ति) ७३ कोशबल ( प्रभुशक्ति) ७३ ज्ञानबल ( मन्त्रशक्ति) ७३ बलभद्र / बलराम ३६, ५६ बलिप्रथा ३१६, ३६८-३७०, ४०५ यज्ञावसर पर पशु बलि ३७०, चण्डीमा देवी के मन्दिर में ६४३ बलि ३६६, जैन मुनियों द्वारा पशुहिंसा का विरोध ३६६ ३७० afa प्रथा के साथ समझौता ४०५ बलिप्रिय राजा ३७० बसकर (बांस कर्मी) २३२ पा० बहत्तर कलाएं ४२२-४२५ बहुपत्नीकता ४६० बहुविवाह और राजनीति ५०७ बहुविवाह प्रथा ४८८, ५०६, ५०८, ५०६ बाग-बगीचे २१२, २१३, २१५ बागवानी २१३ बाजार २२४, २२७, २२८, २५२, २८२, २८५ बारणसदृश श्रायुध १६८, १७०, १७२ बादामी के चालुक्य ३३९ बारूद (प्रग्निचूर्ण) १८२, १८३, १८४ बारूद निर्माणविधि १८८-१८३ बाल रोग ४४५ बाहुयुद्ध १६८ बीजभोजी १३६ बेगार १५, १६८ बोझा ढोना (व्यवसाय) २२१, २३७ बौद्ध श्रागम ४६० बौद्धकालीन नारी ४६२-४६२ धार्मिक दृष्टि से स्त्री-पुरुष की समानता ४६०, नारी को सांसारिक राग-वृत्ति का मूल .: कारण मानना ४६०, संघ

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