Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

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Page 683
________________ fasures fort मन्दिर की भित्तियां ३४२ मन्दिर के मणिस्तम्भ ३४२-३४३ मन्दिर के स्वर्ण शिखर ३४४ मन्दिर द्वार ३४२ इसमें कमलवासिनी लक्ष्मी का चित्र ३४२ मन्दिर - धरातल ( फर्श ) ३४२ इनमें मूंगे, मोती, मरकत मणि, पद्मप्रभ मरिण से सजावट, इनमें मरिण रत्नों से प्रङ्कित, कमल, कमलनाल, भ्रमर श्रादि की चित्रकारी ३४२ मन्दिर निर्माण २५१, ३२५, ३३६ मनोविज्ञान ३४७, ३६६ इसका धार्मिक ३३६, ३४० नगर वास्तु के अन्तर्गत २५१, २५२ गावों में मन्दिर ३४० इन्द्रकूट जैन मन्दिर के निर्माण का वास्तुशिल्प ३३६-३४२, वस्तुपाल एवं कुमारपाल द्वारा मन्दिरों का निर्माण / जीर्णोद्धार ३४४-३४७ मन्दिर प्रतिमा ३४२. इनके स्फटिक मणि स्तम्भ ३४२ मन्दिर प्रवेशद्वार ३४१ मन्दिर भित्ति ३४२ निर्मित नारायण, इसमें तीर्थङ्कर, चक्रवर्ती, यक्ष, किन्नर, भूत आदि के चित्र ३४२, इनमें ६४६ स्वर्ण, मरिण प्रादि धातुनों से प्रति चित्रकारी ३४२ मन्दिर में गजमूर्तियां ३४५ मन्दिर में जिन प्रतिमा ३३२-३३४, ३४५-३४७ मन्दिर में ध्वजस्थापन ३४४ मन्दिरशिखर ३४१ मन्दिर स्तम्भ ३४२ स्फटिक मणि से निर्मित ३४२, इनमें स्त्री-पुरुषों के युगल चित्र ३४२, इनमें स्वर्णनिर्मित कलशों का विन्यास ३४२ मन्दिरों का स्थापत्य ३४१, ३४२, ३४४-३४७ मन्दिरों की चित्रकला ४४३, ४४४ मन्दिरों की देवदासियां ४८३ मन्दिरों के उद्यान ३४१ इनमें विविध प्रकार के वृक्ष ३४१, छायादार वृक्ष, फल-फूलों के वृक्ष, मसाले मेवे एवं सुगन्धित द्रव्यों के वृक्ष ३४१ मन्दिरों में शाला विन्यास ३४१ प्रेक्षागृह, प्रभिषेकशाला, स्वाध्यायशाला, सभागृह, सङ्गीतशाला, सङ्गीतशाला, पट्टगृह, गर्भशाला ३४१ मल्ल युद्ध १६३ मल्होत्रा / मेहरोत्रा १२७ महतो १२७, १३३ महत् ( नगर भेद ) २८१ महत्तम १२०, १२५, १२६, १२८, १२६६ १३२, १३३, १४७, २४०

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