Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers
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विषयानुक्रमणिका
६३६ पालतू पशु २२१, इसके
इनकी उछलकूद २२२, साथ दुर्व्यवहार २२३, ३१६ २५४, २५६, २७६, इनकी धार्मिक प्रतीक के रूप में लड़ाई २२२, ३३०, मुर्गा३१६, गोपूजा तथा गोदान __ पालन २२२ ३१६, इसके देवत्व की रीछ ३६४ आलोचना ३१६
रूरुच २२२ गिद्ध ४०१
लवक २२३ घड़ियाल २४६
वराह (सूअर) २२२, २६४, चूहे ३२७
३६८ जलमुर्गी २२४
___ इनकी दौड़ ३३० जोंक (जलूक)- ४१६
वर्तक २२३ टिभि २२३
वृक २२२ तीतर २३१
वृष/बैल १५६, १६३, २१०, दुर्ग (पक्षी) ४५४
२२१, २२२, २३६, २५६, न्यहवीलक २२२
३२७, ३६२, ४४१, ४५५ बकरा (प्रज) ३६८, ४१६
शश २६४ बकरी १८२, ४४१
शुक (तोता) ४१६ बगुला २२४, ४१६
शृगाल (सियार) २२२, ४०१ बाघ २२२, ३४२
शृगाली १४८, १५७, ४५३ 'बिल्ली ३२७, ४१६ . .
सर्प ३६४, ४१६, ४५४ भैंस २२१, ३२७, ५०६ । सारस २२४ मैंसा (महिष) ३०८, ४१६ . सिंह २६२, ३४२, ३६४, मक्षिका (मक्खी) १६६
४५५ मत्स्य (मछली) ४०१,४५५
हंस ३४२, ४१६ मधुमक्खी २१६
हरिण (मृग) १५८, २२२, मयूर (मोर) २२३, २२६,
२२३, २६४, ३६८ २१४ २५६, २८६
पशुदण्ड विधान १०७, १०८ इनकी ध्वनि २५४, २५६, पश निवास (सैन्य) १६२ २६६, ४४०
पशुपालक ग्राम १९८, २४५ मशक (मच्छर) ४१६ . .
पशुपालन (व्यवसाय) ३०, ३१, मुर्गे (कुक्कुट) २२२, २५४,
६७, १९०, १६१, २०३, २०७ २५६, २७६, ३३०, ३६८, २०६, २२१, २२२, २४०, ३६६
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