Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

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Page 672
________________ ६३८ जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज पर्वत २४२, २४४, २५१,,३८७ पर्वतीय प्रदेशों के वस्त्र २९७ पर्वतीय प्रान्त २.७, ३७१ पल्ल (जन) ५३० पल्ली २४२ पशु ६, १५, १०२, १०७, १०८, १५६, १६२, १६३, १८६, १८६, २०३, २०७-२०६,२२१२२४, २३६, ३१७, ३२७, ३६८ समाजशास्त्रीय पशु व्यवहार' ६,१५, पशुपालन व्यवसाय२०३, २०७-२०६, २२१, २२२, पालतू पशु २२१, वन्य पशु २२२, युद्धोपयोगी पशु २२१२२२, पशुओं के साथ दुर्व्यवहार २२३, ३२७, पशुदण्डविधान १०७, पशुपालक ग्राम १९८ सेना में पशु निवास १६२, पशुबलि ३१७, ३६८, पशुहिंसा का विरोध ३१७, ३६८-३६६ पशु/पक्षी/जलचर/स्थलचर जीव : प्रश्व/घोड़े ३३, १६०, १६२, १६३, १८५, १९६, २२१३२३, २३६, २६२, ३२७, ३३१, ३४२, ४४१, ४५४, ५०४-५०६ इनकी जातियां-काम्बोज' 'पारसीक', 'वनायुज', 'वाह्लीक' २२२, कुमारपाल के घोड़ों की ग्यारह लाख संख्या ३३१, दानदहेज में बारह हजार घोड़े ५०४, घोड़ों के भित्ति चित्र ३४२ ऊँट १५६, १६०, १६३, १८२, १८३, २२१-२२३, ३३१ कपिजल २२३ कबूतर २२३ कुत्ता ३७० कोकिल ४४१ कोमा १५७, १५८, ४५३ क्रौञ्च ४४१ खच्चर १५६, १६०, २२२, २२३ खंजरीट (भारद्वाज पक्षी) १५७ ४५३ गज/हाथी/हस्ति ३,९८, ६६, १६०, १६२-१६४, १८०, १९६, २२१-२२३, २३४, ३३१, ३४२, ३६१, ३६२, ३.६४, ४४१, ४५४, ५०४, ५०५ इनकी जातियां-'भद्र', 'मन्द्र', 'मृग' २२२, कुमारपाल के हाथियों की ग्यारह सौ संख्या ३३१, दहेज में एक हजार हाथी ३३१, ५०४; हाथियों के मित्ति चित्र ३४२ गधा १५७, १८२, २२१, २२३ ४५३ गाय २२१, २२३, ६३१, २५४ । . २५६, २८६, ३१६, ३२७,

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