Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers
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विषयाक्रमणिकां
टङ्कण (टाखन- खार) २३६
तांबा २२८, ३३३, ३४२ ताम्बे से चित्रकारी ३४२ नील (नीलम ) २२८ नीलमणि ३४२
पद्मरागमरिण २२८, ३७७ पद्मप्रभ (सफेद मरिण ) ३४२ पुष्पराग मणि ३४२.
प्रवाल २२८, २३२
मरिण २२६, २३२, ३७७
मनसिल २३६
मरकत मरिण ३४२
महेन्द्रनीलमणि २२८
इस मरिण से निर्मित कमल
३४२
माणिक्य २२४, ३४३
मुक्ता २१८, २३२
मूंगा २२६, २३२, ३४२ मोती २२४, २२६,
२३२, ३४२
मोम १५३
२२८,
यवक्षार १८३
रत्न ६७, ६८, १६२, १६३, १२६-२२६, ३७७ सोह/लोहा १७४, १७६, १७८,
१९३, २२८, २३४, २५७ बैडूर्यमणि २२८
इससे निर्मित
३४२
शंख २२८
श्रीवत्समरिण ३०७
सीसा १८३, १६३
कमलनाल
सूक्ति २२८ सोना (स्वर्ण) १९३, २२४,
६३१
२२६, २२८, २३२, २५ १, ३२७, ३३१, ३३३, ३६३, ३८६, ३६४
सोने से चित्रकारी ३४२, स्वर्णमुद्रा १६६,, २२६-२३१,
३३१, स्वर्णकलश ३४२, स्वर्ण कमल २४८
स्फटिक मरिण ३४२, ३४२ हीरा २२८
धातुकार २३२ पा०
धात्री १२४
धान्यगृह २५२
धार्मिक अन्धविश्वास ३१४, ३१६,
३६ε
धार्मिक कर्मकाण्ड _३२२-३३६,
३२५, ३६०
धार्मिक चेतना २५, २६, २७, २६, ३५, १५६, ४०७ धार्मिक महोत्सव ४३८, ४४२, ४८३ धार्मिक सम्प्रदाय २८, ३६०, ३७१, . ३७२,३६८ धार्मिक सहिष्णुता ३१८, ३४३,
४०३, ४०४
धार्मिक सम्मेलन के केन्द्र ४०८ धार्मिक स्थानों में जन-सुविधाएं ३४४
३४७
उपाश्रय निर्माण ३४५-३४६, श्रौषधालय निर्माण ३४५, क आ खुदवाना ३४४-३४५, तडाग्

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