Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

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Page 663
________________ विषयानुक्रमणिकां ३६८, चार्वाकाभिमतवाद ३६६, लोकायतिकवाद ४०१-४०३ दार्शनिक सम्प्रदाय ३८०, ३८१, ४०५, ४०६ दास / दासी १५६, २३६ दिगम्बर सम्प्रदाय ३६, ४०, ४८ दिग्विजय ६६,७६, १२०, १४८ दिन ( काल खण्ड ) ३८६ दिव्यध्वनि ३८५ दासप्रथा १२७ दासों को किराए पर देना (व्यवसाय) देवता १६०, ३६६. २३६ दिव्यास्त्र १८०, १८३, १८४ दीक्षागुरु ३६२ दीपोत्सव ३५० दीर्घिका २५१ दुमंजिले / सात मंजिले मकान २४६ दुर्ग ७०, ७३, ६७, ११६, १५६, १६२, १६५, १७८, १८०, १८८, २६३ दुर्ग प्रक्रमण १८६ दुर्गं निवेश १३५ दुर्गपाल (पद) १२० दुर्गभेदकं प्रायुध १७४ दुर्ग युद्ध १६४, १६५, १८० दुर्ग - रणथम्भौर १५६, १६४ दुर्गाधिकारी (पद) ७२ दुर्गान्तवासी १३५ दूत सम्प्रेषण ३३, १४६ दृष्ट प्रयोजन ( काव्य ) १६ दुःषमा (काल) ३५६, ३५७ दुःषमा - दुःषमा (काल) ३५६, ३५७ दुःषमा - सुषमा (काल) ३५६-३५८दूत ६१, ८१, ६५, ११५, १२२, १५१, १५२, १५६, १८७ दृष्टि युद्ध १६३ देव (जीव ) ३८५ देवकन्या १०६ देव कन्याओं के साथ रमण ४७१ દૂ૨૨ देवोपासना का विरोध ३१८, ३१६ देश ३३, ११६, ३४१, ५१३ देशविरत ३६२ देशी भाषा ४३०, ४३१ देशी भाषाओं में शिक्षा ४३१ देहनिर्माणात्मिका शक्ति ३६६ देव (वाद ) ३५० देवज्ञ (पद) ७२, ११०, ४५१ देवी अधिकारवाद ६७ देवी सिद्धान्त ६६. ६८, १०१ दोरणमुह ३४२, २५० दोलागृह ( क्रीडा गृह) २५२ द्यूत (जुमा) १०७, १३६ द्रव्यार्थिक नय ३७६, ३८२ ११४, इसमें नैगम, संग्रह तथा व्यवहार नयों का अन्तर्भाव ३८२ द्रोणक (नगर) २८५ द्रोणमुख २४२, २४३, २६०, २७२, २८०, २८४, ३११ नदी के तटवर्ती नगर २६०, बन्दरगाह २६०, व्यापारिक केन्द्र २६०, चार सौ ग्रामों का समूह २८०, २८४, व्यापारी वर्ग का प्राधान्य रूप से निवास स्थान २६०

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