Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

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Page 661
________________ विषयानुक्रमणिका ६२७ तुर्क ६६ णिगम २५९, २८०-२८२ तीर्थ यात्रा ३५०, ४०४ रिणगमा २५५ तीर्थयात्रा-महोत्सव ३५० तकनीकी व्यवसाय २३३, २३८ .. तीर्थस्थान (जैन तथा हिन्दू) ३४४तक्षक (बडई) २००, २३२ पा०. ३४७, ३७३-३७५, ४०४ तीर्थस्थानों का जीर्णोद्धार ३४४तक्षशिला विश्वविद्यालय ४१४, ४२१ ३४७, ४०४ तीर्थस्थानों का दर्शन ३४२-३४३, तडाग-निर्माण ३४६ तत्त्वमीमांसा ४००, ४०५, ४०६ तुरायण ३६८ तत्त्व-श्रद्धान ३८६ तत्त्वोपप्लवधाद (लोकायतिक) ४०२ तुलनात्मक ज्ञान-विज्ञान ४२२ ४०३, ४०६, चार्वाकवाद से भी तेरह द्वीप ५११ अधिक प्रगतिशील ४०२, इसके तेल निकालना (व्यवसाय) २३६ द्वारा तत्त्वमात्र का अपलाप तोरण (पताका युक्त) २५१ ४०२, जीव तथा उसके पाप- त्रिक ( तिराहा) २५१ पुण्य, बन्ध-मोक्ष प्रादि का त्रिपिटक ग्रन्थ ४०८ सर्वथा खण्डन ४०२, जैन त्रिपुरादि प्रसुर ३७१. दार्शनिकों द्वारा इस पर आक्षेप त्रिविधशक्ति ७३, १५०, ४३४ ४०२, ४०३, तत्त्ववादियों की प्रभुशक्ति, मन्त्र शक्ति, उत्साह प्रमाणव्यवस्था का मण्डन . शक्ति ७३, ४३४ त्रिषष्टिशलाका पुरुष ३६, ४०, ४५ तत्त्वोपप्लववादी ४०२ दक्षिण भारत के निगम २७० तपविद्या ४२३ दक्षिणायन ३५६ तपोवन (शिक्षाकेन्द्र) ४१३, ४१६ दण्ड १३, २१, १००, १०१, १०३, तमः प्रभा (भूमि) ३८५ १०५, १०८, ११६, १४६, तर्कप्रधान शिक्षा ४२२ १५०, १५१, १५२, १५३, तर्कशास्त्र ३२० १७३, १७४, १६४ तार्किक प्रणाली ३७६-३७८ . दण्डधर (पद) ११७, १२१ तालाबों का जीर्णोद्धार ३४४, ३४४ दण्डनाथ (पद) ११३, ११७ तिर्यञ्च (जीव) ३८५.. दण्डनायक (पद) १०६, ११०, ११६ तिर्यञ्च गति १०१ ११७, ११८, १५३, १५४ तिलपिषक (तेली) २३२ पा० . दण्डनीति ६७, ६८, ७५, ७६, ८२, तीर्थङ्कर ५१, ५६-५८ . . १५०, १८५

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