Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

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Page 669
________________ विषयानुक्रमणिका ६३५ मावागमन सुविधा २७८, २७६ निषिद्ध जैन व्यवसाय २३८-२३६ २६०, २६१, अर्द्धविकसित पन्द्रह प्रकार केदशा २७६, २९० १. अग्नि जीविका, २. अनोनिगमों के उच्चाधिकारी २७५ जीविका, ३. असतीपोष, ४. उनकी मुहर २७५ केशवाणिज्य, ५. दन्तवाणिज्य, नित्य-अनित्य ३८३, ३८८ ६ दवप्रद, ७. निलाच्छन, ८. निधि १९२, १६३, १९४ भाटक जीविका, ६. यन्त्रपीडन निबन्ध ग्रन्थ २६६, २८७, २८८ १०. रसवाणिज्य, ११. लाक्षा निम्नवर्ग १३३, १३५, २०१ वाणिज्य, १२. वनजीविका, नियत कार्य-कारणभाव ३९४ ।। १३. विषवाणिज्य, १४. सरः नियतिवाद ३७६, ३८०, ३९३, .. शोष, १५. स्फोटजीविका ३६५ २३८-२३६ नियति से पदार्थों की उत्पत्ति नील (लेश्या) ३६३ नृत्य १८, २१, ३१, १६१, १६२, नियुद्ध १६८ निरपेक्ष भाव ३७७ नृत्य के प्रकार ४४२, ४४३ निरोडात्मक सिद्धान्त १०१, अधरनत्य छह प्रकार का ४४२, निरोध, ३९० ४४३, उदरनत्य तीन प्रकार निर्ग्रन्य ४६२ ४६३ का ४४२, कटिनृत्य पांच प्रकार निग्रंन्या शिक्षक ४१३ का ४४२, कपोलनृत्य छह निर्जरा (तत्व) ३६३, ३८४, ३९१, प्रकार का ४४२, कराभिनय परिभाषा, ३६१, इसके दो भेद पूर्णनत्य बीस प्रकार का ४४२, ३९१, सविपाक-निर्जरा ३६१ ग्रीवानृत्य नौ प्रकार का ४४२, मविपाक-निर्जरा ३६१ ताण्डवनृत्य ४४३, नासिका निक्छिन (व्यवसाय) २३९ नृत्य छह प्रकार का ४४२, नेत्रनिवृत्तिप्रधान धर्म ३५६, ३६० : पक्षनृत्य छब्बीस प्रकार का निवेशन २७४ ४४२, पादनृत्य छह प्रकार का निगम का माधा भाग २८४ ४४२, पादाभिनयनृत्य बत्तीस निशुज राक्षस ३७१ ।। प्रकार का ४४२, पावनृत्य निःशुल्क चिकित्सा ४५० तीन प्रकार का ४४२, बाहूनृत्य -निश्चयात्मक बुद्धि ३७८ दश प्रकार का ४४२, भ्रूभङ्गनिषिद्ध जैन विद्याएं ४२४ नृत्य सात प्रकार का ४४२,

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