Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

View full book text
Previous | Next

Page 654
________________ ६२० जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज ३५३, इनकी मूर्तियां ३३६, राजनैतिक लोकप्रियता ३२२. ३५४, इनका स्तुति गान ३३६, ३२३, इसके प्रचारक राजवंश देवी की शक्तियाँ ३३८, देवी ३२२-३२३, इसके प्रमुख केन्द्र पूजा महोत्सव ३३६ ३२२, राजधर्म के रूप में ३७०, जन देवों का वर्गीकरण ३५०-३५२ हिन्दू धर्म के साथ समन्वय चार प्रकार के देव-भवन- मूलक प्रवृत्तियां ३१६-३२४ वासी देवों का वर्गीकरण ३५०, जैन धर्म के प्रचारक वंश ३२३ व्यन्तरदेव ३५०, ज्योतिष्क देव पल्लव ३२२, गङ्ग ३२२, ३५०, वैमानिक देव ३५१, राष्ट्रकूट ३२२, कदम्ब ३२२, विभिन्न प्रकार के देववर्ग ३५१, होयसल ३२२, चालुक्य ३२२ ३५२ जैन धर्म के प्रमुख केन्द्र ३२२ जैन देवों की क्रीडाएं ३५५ कांची ३२२, उज्जयिनी ३२२, जल क्रीडा ३५५, दोला क्रीडा मथुरा ३२२, वलभी ३२२, ३५५, वाहन क्रीडा ३५५, कर्नाटक ३२२, गुजरात ३२२, शयन क्रीडा ३५५, स्थल क्रीडा राजस्थान ३२३ ३५५ जैन नदियां (चौदह) ५११ जैन द्रव्य पूजा ३३२ गंगा, सिन्धु, रोहितास्या, रोहित जैन द्रव्यव्यवस्था ३८२-३८३, ३८६ नवी, हरिकान्ता, हरित्, जैन द्रव्य के भेद ३.२, ३८३ सीतोदा, सीता, नरकान्ता, दो भेद ३८३, तीन भेद ३८३, नारी, रूप्यकूला, सुवर्णकूला, छह भेद ३६३, ३८२, ३८३ रक्ता तथा रक्तोदा ५११ जैन द्रव्य लक्षण ३८०, ३८२, ३८३ ।। जैन नन्दीश्वर पर्व ३४८, ३४६ जैन धर्म, २८, ३५, ३६, ४२, ४३, जैन नय ३१६, ३६३, ३६६, ३६७५१, १०२, १४६, १८६, २०५ ३७८, ३८१, ३८२.४०३ २९४, ३१४-३२५, ३३०, ३३८, ३३६, ३५६, ३६०, जैन नय व्यवस्था ३८२ ४०३-४०५ परिभाषा ३८२, भेद तथा इसकी नवीन समाजधर्मी उपभेद ३८२; द्रव्यार्थिक तथा प्रवृत्तियां, ३१४, ३१५, इसकी पर्यायाथिक नय ३८२, इनके वैचारिक पृष्ठभूमि ३१४, सात मुख्य भेद ३८२; अनेकान्तइसका लोकाधार ३१४, ३२०, वाद की अपेक्षा से नय-निरूपण ३६६, इसका प्रचार-प्रसार ३२३, ३७६-३७८

Loading...

Page Navigation
1 ... 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720