Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

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Page 656
________________ ६२२ कृष्णा गरु ३३६, ३३६ खाण्ड ३३६, ३३६ घण्टा ३३७ घृत ३३३, ३३६, ३३६ चंदन ३३२, ३३६, ३३६, ३४८ चंदोबा ३३७ चरु ३३६ चामर ३३२ छत्र ३३२, ३३७ जल ३३६, ३३७, ३४८ जल पात्र ३३३ जौ २१२, ३३६ भारी ३३३, ३३४, ३३७ तण्डुल ३३२, ३३६ तिल (कृष्ण) २१२, ३३६ ३३६ जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज पत्र ३३६ पात्र ३३३, ३३७ पालिका ३३३, ३३७ पुरोडास ३३६, ३६८ पुष्प ३३२, ३३५, ३३६, ३३७, ३३८, ३३६ ३३७, तीर्थोदक ३३६, ३३७ तुरही ३३७ थाली ३३७ दर्पण ३३७ दही ३३३, दाडिम ३३२ दीप ३३२, ३३५, ३३६, ३३७ दूब ३३६ दूध ३३३, ३३६, ३३६ धर्मचक्र ३३७ धूप ३३२, ३३५, ३३६, ३३७, ४०० वजा ३३७ नाद ३३३, ३३७ नैवेद्य ३३२, ३३४, ३३६, ३३७, ३३६ पुष्प माला ३३२, ३३४, ३३६ फल ३३२, ३३४, ३३६, ३३७, ३३८ मधु / शहद ३३६, ३३६ मधुपर्क ३३६ मुकुट ३३७ लाजा ३३६ वस्त्र ३३६, ३३६ शंख ३३३, ३३७ सरसों २१२, ३३६ स्वर्ण कलश ३३७ स्वर्णकुम्भ ३३७, ३४७ स्वर्ण यन्त्र ३३६, ३३७ स्वर्ण शंख ३३३ हल्दी ३३४ हवि / हवन सामग्री ३३४, ३३७, ३६८ जैन पूजा द्रव्यों का अनुष्ठान फल ३३६, ३३७ अक्षत से आरोग्यता तथा घन सम्पदा ३३६, ३३५, अयं से प्रभीष्ट प्राप्ति ३३७, गन्ध से सौभाग्य ३३६, घृत से शरीरपुष्टि ३३६ चन्दन से शरीर सुगन्धि ३३७,

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