Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

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Page 638
________________ जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज कॉरपोरेशन २६५, २७३, २६१ कारुशूद्र २०७, २०८ कार्तिक ३४८, ३४६ कार्तिकेय ३१६, ३७०, ३७१, ३७४ कलशयात्रा, ३४६ कार्मारण वर्गणा ३८६ कला १, ४, ८, ε४, २३६, ४०७, कार्यलिङ्ग ३६६ काट २६२, २८४ ४३७-४४५, ४५५ haratशल (व्यवसाय) काल (तत्त्व ) ३८३, ३८६-३८६, ३८७ इसका लक्षण, ३८७, व्यापकत्व वैशिष्ट्य ३८७, अनश्वर स्वभाव ३८७, वराङ्गचरित में इसे अनित्य एवं श्रव्यापी मानना ३८७, इसके सूक्ष्म भेद एवं उपभेद ३८६-३८७ कालखण्ड ( ऐतिहासिक ) : अन्धकार युग ६६, आदिम युग १८६, वैदिक काल, २६८, उत्तर वैदिक काल ३१, ६८, उत्तर सामन्त युग ३०, ३१, कबीला युग ३०, ३१, गुप्त युग, ८६, २६०, २६६, ३१४, ३१८, चालुक्य काल १५३, २२७, ५१४ जनसमूह युग ३०, ३१, पल्लवकाल २६१, ३२२, पाणिनि-काल २७१, पूर्व सामन्त युग ३०, ३१, बौद्ध युग २६०, २७७, २७६, मध्य युग ६८, ६६, मध्य सामन्त युग ३१, रामायण काल २६६, २६८, २७०, राष्ट्र युग ३१, साम्राज्यकाल ६८, ६६, सूत्रकाल हर्षवर्धनकाल १३८, ६०४ घी, जल से भरे ३३३, ३३४; फल - फूल - श्वेतवस्त्र से श्रावृत मुख ३३४; इनका अलंकरण ३३४ २०२, २०३, २०६, २४१, ५४३ कलाकौशलजीवी (वैश्य - शूद्र) २०२, २४१, ५४३ कलाबी १४१ कल्पवासी देव ३५१ कल्पातीत देव ३५१ कल्मी १४१ कषाय ३६० कषाय क्षय ( चतुर्विध ) ३६३ कषाय वस्त्र कसकर (ठठेरे) २३२ पा० कसाइयों की दुकानें ४०५ कस्बा २८६, २६० काकतीय शासनव्यवस्था १०६ कापालिक ३७६ कापोत (लेश्या) ३६३ काफिला २२५, २२६ कामदेव ३७१ कामशास्त्रीय चित्र ४८२ काय - प्रविचार ३५५ कायस्थ १२७ कायिक क्लेश ३६४ कायोत्सर्ग ३६३ कारपोरेट बौडी श्रॉफ मर्चेन्ट्स २६४, २६१ १६५, १६०

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