Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

View full book text
Previous | Next

Page 647
________________ विषयानुक्रमणिका ६१६ आत्मनिर्भरता एवं स्वायत्तता ग्राम भोक्ता १३८, १४०, १९८ १२४, २०६, इनकी अर्थव्यवस्था ग्राम महत्तर १२६, १२७, १२६, १२५-१२७, १४१, १६७-२०१, ग्राम-मुखिया १२६, १२७, १२८, प्रशासनिक अधिकारी १२०, १३२, २४० १२४-१४१, इनका सामन्तवादी ग्राम सङ्गठन १२४, १२५, १२६, ढांचा १२४-१४१, १९७, १६६, १२७, १२८, १२६, १३१, २४०, ३५३-३५४, मध्यवर्ती १३२, १३३, १३७, १३८, लोग-महत्तर, महत्तम तथा १३६, १४१, १४२, १६१ कुटुम्बी १२४-१४१, जाति के ग्राम स्वामी १२४ नाम पर ग्राम २७८, ग्रामसभ्यता ग्रामाधिकारी १३६, ९७१ के वाचक शब्द २७१, कृषक ग्रामाधीश १३६, १९७, १६६ ग्राम २५२, ग्वालों के ग्राम ग्रामिक २७१ ग्रामेयक १३८ १३०, १९८, २५२, शिल्पीग्राम ग्रामेश १२० २४४ वाणिग्राम २८६, ब्राह्मणों के ग्राम २४४, प्रग्रहार ग्रामोत्पादन १२५ ग्राम १३८, १९७, २०१, २४४, ग्रामोन्मुखी (अर्थव्यवस्था) १२५, १२७, १४१ २८८, २८६, भक्त ग्राम २४५, ग्रामों का विकेन्द्रीकरण १६७ २४६, २५५, २५६, ३११ ग्रामों का शासकत्व १९८ दिल्ली के समीपवर्ती ग्राम ग्रामों का स्वामित्व १६२, १९७ २५६, इनका नगरोन्मुखी ग्रामों में मुर्गापालन २२२ विकास २५५ ग्रामों में रक्षक १६१ ग्राम की संगठित सभा २७६ ग्रीष्म ऋतु तप ३६५ ग्रामकूट १२७ घोंगा जनजाति ६०, २४० ग्राम-जमींदार १६७ घोष (ग्राम) १३०, २२१, २४२, ग्रामदान १२६, १४१, १४२, १९७, २४३, २६४, २७०, २८०, . २०१, २४८, २७३, २८८ २८१, ग्राम निर्माण १९८-२५२ अहीरों की बस्ती २६४ ग्राम-प्रधान १६७, २७५ घोष वृद्ध १३० प्राम प्रभु १२६ घोस २४२, २८० प्राम प्रवर १२७ ग्राम प्रशासन १०८, १२०, १२४, चक्र निर्माण (व्यवसाय) २३२ पा० १२५, १३३, १३८, . १४१, चक्रवर्ती ८३, ८४ १४२, १४६, २७५ चक्रवर्ती सम्राट् १२४

Loading...

Page Navigation
1 ... 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720