Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers
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६१२
गुरिल्ला युद्ध १६६. १६७ गुरु ६६, ४१२
गुरुकुल ४१४, ४६४ गुरुदक्षिणा ४१३
गुरुशिष्य सम्बन्ध ४१२-४१६
गुरुश्रद्धा ८८
गुर्जरवराधीश्वर ८५ गुप्ति ३६३, ३६०
गुल्म १६४
गृह (संस्था) १३६
गृह / गेह २४८, ३३१
गृहदान १६२, १३, ३४८
गृहनिर्माता २३२ पा०
गृहपति १३६
गृहलक्ष्मी का पद ४६५ गृहस्थ / श्रावक १३, १४,
२६२, ३१८, ३२१, ३२७, ३३०, ३३१, ३६२, ४०४, ४७० गोकुल योषित् (ग्वालिन) २१३
गोचर २७१
गोत्र १२५, १४२
गोत्र (बन्ध ) ३९०
गोत्र प्रवर्तक १३४, १३५ गोष विभाजन ३१७
जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज
गोपवधू ( ग्वालिन) २५५, २६४ गोपाल ( ग्वाले) २३५
१३५,
३२४
३६०
आङ्गिरस ३१७, प्रात्रेय ३१७, काश्यप ३१७, कौण्डिन्य ३१७, कौत्स ३१७, कौशिक ३१७, गार्ग्य ३१७, गौतम ३१७ माण्डव्य ३१७, वासिष्ठ ३१७, गोत्र विभाजन का अनौचित्य ३१७
गोप / गोपालक २५५, २५६, २६४,
गोपालप्रभु १३०
गोपुर २४६, २४६, २५०
गोपुर द्वार २५० गोपूजा ३१६
गोमय व्यवसाय २३७ गोमूत्रिका ५६
गोम्मट स्वामी ५४
गोष्ठमहत्तर १३०, १६६, २२१
गौड़ १३३
गौतम (गोत्र) ३१७
गोन्ड १२७, १३३
ग्रह-नक्षत्र ११३, ११४१८५, ३६३, ३६६, ४५०-४५२ ग्रह-नक्षत्रों पर अविश्वास ४५२,
४५३
ग्राम ४, ७, ६७, ६६, ११६, १२०, १२४-१२८, १३८, १४२, १६१, १६२, १५-१६८, २०१, २१०, २१२, २४०२४५, २५३-२६२, २७०, २७८, २८०, २८१, २८५ २८६, २६१, .३११, ३१३, ३४१,
३६६
ग्राम का लक्षण २४४, निरुक्ति २४४, सीमा २३४, छोटा ग्राम २४४, बड़ा ग्राम २४४, ग्रामीण जनजीवन २४५, २५४, ३५६, यातायात के साधन २५५, इनका उपभोग वैशिष्ट्य २४५, सम्पत्ति के रूप में २४५, आर्थिक उत्पादन के केन्द्र २४४, २४५,

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