Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

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Page 641
________________ विषयानुक्रमणिका ६०७ घान २१०, २६०, ३११ कृषि-गतिविधियां २१०, २११, घान की पौध (कलम) २११, २४२, २५४, २५६, २६४ घानों के प्रकार २११ कृत्रिम तथा प्रकृत्रिम साधनों से धूप २१६ खेतों की सिंचाई २११, अनाज नारियल २१६ बोना २३६, फसल की जुताईपुण्डे क्षु (लाल ईख) २१२, रुपाई-कटाई २१०, चुटाई द्वारा २५६ अनाज का भूसा अलग करना पुष्प पराग २१६, २२८ २१०, २२१, २५६, अहीर प्रियाल चूर्ण १८२ बालाओं द्वारा फसल की रक्षा फल १६४, २१५-२१७, २३७ २१०, गाड़ियों द्वारा अनाज की फल-फूलों का रस २१६ ढुलाई २१०, २४५, खलिहानों फूल १६४, २१५-११७, २२८, में अनाज संग्रहण २१०, २५४, २३७ बड़े कुम्भों में अनाज का संभरण मटर २६३ मसाले २१६ २१०, भक्त ग्रामों/निगमों में माष २६४ अनाज का संरक्षण और वितरण मिर्च २१३ २४५, २५५ २५६, सम्बाघों में मुद्ग (मूंग) २११, २६३ अनाज का स्थायी रूप से मूलक (मूली) २१३ भण्डारण २६४ मेवे २१७-२१८ कृषि ग्राम १२७, १६८, २००, यव २६४ २१० लाबुक (लौकी) २१३ कृषिदास प्रथा १६५, १६" लेप २१४ कृष्ण ३६, ४९, ५६, २५१, ३७५ लोंग (लवङ्ग) २१६, २१७ कृष्ण की रासलीलाएं ३७५ वास्तुक (बथुप्रा) २१३ कृष्णपक्ष ३४६, ३५६ व्रीहि २११ कृष्णा लेश्या ३६३ वृन्ताक (बैंगन) २१३ केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल १११ शालि २११ केन्द्रीय शासनव्यवस्था१०८, १०६, षष्ठिक २११ ११८, १४६, १६० सरसों २१२. २१३ केवल ज्ञान ३८१, ३८२ सुगन्धित द्रव्य २१४-२१७, केशवाणिज्य (व्यवसाय) २३६ ३०० ३२६ - केश लुंचन ३६२ सुपारी २१६, २१८, २५६ कोटिक (गण) १३५, १३६

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