Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

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Page 636
________________ ६०३ जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज सांस्कृतिक गतिविधियों के केन्द्र २१४, प्रेमियों के संकेत स्थल २१४, इनका राजकीय संरक्षण २१४, इनका व्यक्तिगत स्वामित्व २१४, उद्यानों में वृक्षारोपण २१४, २१५, इनके द्वारा प्रार्थिक उत्पादन २१५, द्रष्टब्य 'वृक्ष उद्योग' उद्योग १८६, १६०. २०२ - २०४, २०६, २१५, २२१, २३२, २४० उन्मादिका शक्ति ३६६ उपकरणात्मक श्रायुध १८० उपकर्म (निर्जरा) ३६३ उपक्रम विधि ४१६ उपदेश विधि ४१६ उपदेश श्रवरण २१४, ३२५, ३६१, ३६२, ३६६ उपनयन संस्कार ४०६-४११, ४६४ इसकी श्रायु सीमा ४१०, वैदिक शिक्षार्थियों के लिए इसकी उपादेयता ४११, जैन-बौद्ध परिवारों में इसकी उपेक्षा ४११ उपनिषद् १२, २५, ३४, ४२० उपमान प्रमाण ३६६, ३६७ उपमेय उपमान भाव ४६८ उपयोगमयता ३८४ उपयोगी ललित कलाएं ४२३ उपवास ३२८, ३३२, ३४८, ३५२, ३६५ उपविद्या ९४, ४२१, ४२३, ४२४ उपशान्तकषाय ३६२ उपाध्याय (पद) ३६०, ४१२ उपाय ( राजनैतिक ) ७५ -७८, ८२, १५० उपाश्रय ३४५, ३४६ उबालकर पानी पीना ३३१ उमा ३७१ उमापतिवरलब्ध ८५ उर्वीपति ८३ ऊर्ध्वगामी ३५४, ३६२ ऊंट विभाग १५४ ऊंट सेना १५६ ऋगयनादि गणपाठ २७१ ऋजुसूत्रनय ३७६, ३८२ ऋतु (काल खण्ड) ३५६, ३८६ ऋतु वर्णन ३३, ५५, ५८, ५६, ६० ६२, ६४ एक क्षेत्रावगाही ३८८ एकच्छत्र राज्य ७८ एक पत्नीव्रत ४६० एकल्लवीरा देवी ३३६-३३६, ४०४ एकल्लवीरा देवी की पूजा ३३६, ४०४ एकान्तिक नय ३७६ एपिक ऑफ आर्ट ३७ एपिक ऑफ ग्रोथ ३७ एवंभूत नय ३८२ ऐतिहासिक अध्ययन पद्धति ५ ऐन्द्रिक संस्कृति, & श्रोदयंत्रिक ( पनचक्की वाले) २३२ पा० श्रीदारिक शरीर ३८८

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