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जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज
१०. वत्स'-धर्मशर्माभ्युदय के अनुसार धातकीखण्ड द्वीप के पूर्वमेरु के पूर्व विदेह की ओर सीता नदी के तट पर वत्स देश स्थित था । अन्य ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर वत्स देश को पहचान प्रयाग के निकटवर्ती प्रदेशों से की जाती है । यह देश यमुना नदी के तट पर अवस्थित था तथा इसकी राजधानी कौशाम्बी मानी गई है।
११. पाञ्चाल - पाञ्चाल अथवा पञ्चाल इन्द्रप्रस्थ से ३० योजन दूर कुरुक्षेत्र के पश्चिमी उत्तर में अवस्थित है। पाञ्चाल देश तीन भागों में विभक्त है (१) पूर्व पाञ्चाल (२) उत्तर पाञ्चाल तथा (३) दक्षिण पाञ्चाल । दक्षिण तथा उत्तर के मध्य गङ्गा नदी पड़ती है तथा एटा तथा फर्रुखाबाद के जिले दक्षिण पाञ्चाल में ही हैं । ५ डे के अनुसार पाञ्चाल की रोहिलखण्ड क्षेत्र से पहचान की जा सकती है । यह दिल्ली के उत्तर-पश्चिम में अवस्थित है।
१२. कच्छ-कच्छ अथवा मरुकच्छ । गुजरात खेडा जो कि अहमदाबाद तथा खंभात तक व्याप्त है तथा बेत्रवती नदी पर स्थित है, 'कच्छ' की ही प्राचीन सीमा रही होगी।
१३. मगध' -बिहार, विशेषकर दक्षिण बिहार का प्रान्त जिसकी पश्चिमी सीमा सोन नदी है। अभी भी पटना तथा गया जिलों . i + ।' जाता है सम्भवतः यह मगध का ही विकृत रूप रहा है। मगध का विस्तार
१. धर्म० ४.४ २. स धातकीखण्ड इति प्रसिद्ध द्वीपेऽस्ति विस्तारिणि पूर्वमेरुः ।
विभूषयन्पूर्वविदेहमस्य सीतासरिद्दक्षिणकूलवर्ती... वत्साभिधानो विषयोऽस्ति रम्यः ।
-वही, ४.३,४ ३. नेमिचन्द्र शास्त्री, प्रादिपुराण में प्रतिपादित भारत, पृ० ६५-६६ ४. वराङ्ग०, १६.३३; चन्द्र०, १६.२७; द्वया०, १५.२८; हम्मीर०, ११.१ ५. नेमिचन्द्र शास्त्री, आदिपुराण में प्रतिपादित भारत पृ० ५६.६० ६. Dey, Geog. Dic., p. 145 ७. Narang, Dvyāsrayakavya; p. 159 ८. वर्ष०, १२.१; द्वया०, २.१०६; वसन्त०, १०.२५ ६. Dey, Geog. Dic., p. 82 १०. वराङ्ग०, १६.३२; धर्म०, १७.३६, जयन्त०, १.२६; वर्ष०, ४.१,
द्वया०, १५.२७; परि०, १.७; हम्मीर०, ११.१