Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

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Page 632
________________ ४३७ जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज पटिश १६६, १७४, १७७, भैरव यंत्र १७६, १८४ मयूखी १७५ परशु १६८, १६६, १७४, महा असि १७५ १७६, ४३७ मुद्गर १६६, १७४, १७७, परिघ १७५, १७७, १८० १६४ पर्वतास्त्र १८१ मुसल १६६, १७४, ४३७ पवननाशनास्त्र १८१ मुष्टि १६६ पवनास्त्र १८१ मेधास्त्र १८१ पाश १६६, १७२, १७३, १६४ मौष्टिक १७४ पिनाक १७४ यष्टि १७४, १७६, १७८, प्रद्योतनास्त्र १८१ प्रास १७४, १७६ रिष्टि १६६ फलक (ढाल) ४३७ लगुड १६६, १७२ बन्दूक १८३, १८४ लवित्र १७४ बम १८३ लुण्ठि १६६ बाण १६६, १६८, १७०, लोह कण्टक १७८ १८०, १६४, २३७,सुचीमुख लोह गोलक १७४ १७१, ऊर्ध्वमुखबाण १७०, लोह दण्ड १७४ वत्सदन्तबाण १७१, शिली- लोह वृत्त १७४ मुखबाण १७०, शलाका लोह शंक १७७ १७० लोह शीर्ष (प्रास) १७६ बारूद के गोले १८४, १८८ वज्र १६८, १६६, १७४, १७५, बृहदाकार यन्त्र १७६ १७६, १७६, २२८, ३७०, बृहद् शङ्क १७७ ३७१ ब्रह्मास्त्र १८३ वज्रास्त्र १८१ भल्ली १६६ वत्सदन्त (बाण) १७१ भाला १७६ वह्निगोलक/अग्नि गोला १६५, भिन्दिपाल/भिण्डिवाल १६६, १७४, १८४, १५८ १७०, १७२, ४३७ वायव्यास्त्र १८१ भुजगास्त्र १८१ विघ्नविनायकास्त्र १८१ भुशुण्डी/भुसुन्डी १६६, १७३, विजय (खड्ग) १७५ ४३७ विधुतुदास्त्र १८१

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