Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

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Page 624
________________ विषयानुक्रमणिका कर्त्ता (जीव ) ३६५ अकारु शूद्र २०७ अकालमृत्यु ३६३ कषाय जीव २८8 काम निर्जरा ३६१ अक्षरस्वीकरण संस्कार ४११ अक्षरारम्भ संस्कार ४१० अग्नि (देव) १४४, १७६, ३१६, ३२७, ३६३, ३७०, ३७१, ३६६, ४०० afroatfar (व्यवसाय) २३६ अग्निधारण विधि १८२ श्रग्निप्रवेश ४७५, ४७६, ४८४ अग्निप्रवेश का विरोध ४८४ श्रग्निष्टोम यज्ञ ३६८, ४२६ होत्रादि कर्म ४६४ श्रग्निहोत्री २०४ ४८ ३, अग्न्यागार २४८ अग्रशिष्य प्रणाली ४१३, ४१४ अग्रहार ग्राम १३८, १६७, २०१, २४४,२८८, २५६, ४०६, ४२० ब्राह्मण वर्ग का निवास २८६; शिक्षा के केन्द्र २०६, ४०६, ४२० अङ्गरक्षक १२२, १५६ प्रचक्षुग्राह्य ३८८ प्रचेतन (प्रकृति) ३६५, ३६६ अजीव (तत्त्व ) ३८२-३८६, ३८६, ४०२ जीव का प्रतिपक्षी, ३८६० उपयोगमयता से रहित ३८६, इसकी जीवविरोधी प्रवृत्तियां ३८६, इसके पांच भेद - धर्म, अधर्म, काल, प्रकाश, पुद्गल तथा अणु ३८६ अजीव के पांच भेद ३८६ प्रणु ३५६, ३८७ अट्टाल / अट्टालक २४६, २५०, २५१ प्रट्टालिका २५० प्रणिमादि प्राठ गुरण ३५४ प्रतिचार २३८ प्रतिथिसत्कार ३२६, ३२८ प्रतिदुःषमा (काल) ३५६, ३५७ ues प्रयोजन ( काव्य ) १९ अद्वैतवाद ३७६ प्रधर्म ३५३, ३८६, ३८८, ३८६ श्रधिराज ८३ अध्यापक २३६, ४१२ प्रध्यापन (व्यवसाय) २०२, २३६ अध्यापन शैली ४१३

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