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जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज
'पौण्ड' के अन्तर्गत प्राधुनिक सन्तल परगना, बीरभूम तथा हजारी बाग के उत्तरी भाग आते हैं।'
४. कुरुदेश-हेमचन्द्र ने कुरुदेश तथा कुरुजांगल दोनों का वर्णन किया है। कुरुजाङ्गल का वनदेश हस्तिनापुर के उत्तर-पश्चिमी प्रान्त पर स्थित था । बौद्ध युग में इसे 'श्रीकण्ठदेश' के रूप में ख्याति प्राप्त थी। ६ठी शताब्दी ई० में कुरुदेश अथवा कुरुजांगल की राजधानी थानेश्वर थी। इस प्रकार कुरुजांगल की स्थिति कुरुदेश के रूप में स्वीकार की गई है । कुरुक्षेत्र में ही कुरुदेश भी सम्मिलित माना जाता है। वसन्तविलास में पाए 'जांगलदेश' का सम्बन्ध भी कुरुजांगल से ही प्रतीत होता है।
___५. काशी-प्राचीन काल में इसकी राजधानी बनारस थी। बुद्ध के समय में काशी-राज्य कोशल राज्यों में अन्तर्भूत थे। आज काशी ही बनारस के रूप में प्रसिद्ध है। यह उत्तर पूर्व में बरना नदी एवं दक्षिण पश्चिम में असी नाला के मध्य गङ्गा नदी के बाएं तट पर अवस्थित है।
६. अङ्ग-भागलपुर से मुगेर तक फैला प्रदेश ।'• बौद्ध युगीन १६ महाजनपदों में अङ्ग भी एक था । जार्ज बर्डवुड के मतानुसार अङ्ग देश में बीरभूम तथा मुर्शिदाबाद के क्षेत्र भी सम्मिलित थे। चम्पा अथवा चम्पापुरी इसकी राजधानी थी। 'अङ्ग' की पश्चिमी सीमा गङ्गा तथा सरयू नदी तक फैली हुई थी ।११ ___७. बङ्ग१२-बंगाल । गङ्गा नदी के पूर्वी मुहाने से लेकर पश्चिम में प्रङ्ग
१. Dey, Geog, Dic., pp. 154-55 २. द्वया० ८.४६, २०.४४; वसन्त ३.४४, ३.२६ ३. द्वया०, ८.४६, तथा २०.४४ ४. Dey, Geog. Dic., p. 110 ५. वसन्त०, ३.४४; कीर्ति०, २.४६ ६. वराङ्ग०, २१.५६, द्वया०, ५.३५ ७. Dey, Geog. Dic., p. 95 ८. कनिंघम, प्राचीन भारत का ऐतिहासिक भूगोल, पृ० २९२-९३ ६. चन्द्र०, १६.२५; द्वया०, ६.१६; हम्मीर०, १.६७, ११.१ १०. अमृतलाल, चन्द्र०, पृ० ५५३ १२. Dey, Geog. Dic., p. 7 १२. वराङ्ग०, १६.३२; द्वया०१५.८६; बसन्त०, १०.२५; हम्मीर०, ११.१