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भौगोलिक स्थिति
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देश तक इसकी सीमा पड़ती है। बङ्ग देश को पाँच भागों में विभक्त किया जा सकता है-(१) पुण्ड्र अथवा उत्तरी बंगाल (२) समतट अथवा पूर्वी बंगाल (३) कर्ण-सुवर्ण अथवा पश्चिमी बंगाल (४) ताम्रलिप्त अथवा दक्षिणी बंगाल तथा (२) कामरूप अथवा प्रासाम । ब्रह्मपुत्र तथा पद्मा नदी के बीच में बङ्ग देश था।
८. शूरसेन -शूरसेन देश की राजधानी मथुरा थी। वसुदेव तथा कुन्ती के पिता 'शूर' राजा के नाम से इस देश का नामकरण हुआ। रघुनाथ भास्कर गोडबोले ने गुजराती कोश में मगध तथा राजा शूर के शूरसेन देश को अभिन्न माना है।४
६. काश्मीर-विल्सन के अनुसार पहले पहल काश्मीर ऋषि कश्यप का क्षेत्र होने के कारण 'काश्यपपुर' कहलाता था। इसके विपरीत स्टेन महोदय का विचार है कि इस देश का सदैव 'काश्मीर' ही नाम रहा है। वैसे कश्यप ऋषि का प्राश्रम अब भी श्रीनगर में हरि नामक पर्वत पर स्थित है। 5 प्रो० वेदकुमारी ने 'कश्मीर' नामक घाटी से 'काश्मीर' देश के नामकरण का औचित्य नीलमतपुराण के आधार पर पुष्ट किया है। प्राचीन काश्मीर कामराज तथा मेराज नामक दो विशाल जिलों में विभक्त था । प्रथम जिला सिन्धु तथा बिहात नदियों के संगम स्थान से नीचे की घाटी का उत्तरी भाग था तथा दूसरा जिला इसी घाटी के दक्षिणी भाग स्थित संगम स्थान से ऊपर अवस्थित था।''
१. Dey, Geog. Dic., p. 22 २. वराङ्ग०, १६.३३ ३. Dey, Geog. Dic., p. 197 ४. रघुनाथ भास्कर गोडबोले, श्री भारतवर्षीय प्राचीन ऐतिहासिक कोश, पूना,
१६२८, पृ० ३७६ ५. चन्द्र०, १६.५०; वराङ्ग०, ८.३; द्वया० १२.८८; हम्मीर०, १०.२३ ६. Dey, Geog. Dic., p. 96 ७. वही, पृ० ६६ ८. वही, पृ० ६५ ६. Ved Kumari, The Nilamata Purana, Vol. I. Jammu, 1968,
pp. 21-22 १०. कनिंघम, प्राचीन ऐतिहासिक भूगोल, पृ. ७६