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धार्मिक जन-जीवन एवं दार्शनिक मान्यताएं (वहक भट्टार्क) में कूमा खुदवाना।' (४) सूर्यमन्दिर (बकुल) का मण्डप परिवर्तन ।२ (५) वैद्यनाथ मन्दिर का जीर्णोद्धार3 (६) जैन मुनियों के दो उपाश्रयों तथा अनेक औषधशालानों का निर्माण करना (७) जल-शालाओं की दो गोल गवाक्षों का निर्माण करवाना ।५
३. धोल्का - (१) 'पादिनाथ' जैन मन्दिर का निर्माण कराना। (२) जैन मुनियों के लिए दो उपाश्रयों का निर्माण कराना । (३) भट्टार्क के राणक मन्दिर का जीर्णोद्धार कराना । ८ (४) एक वापी का निर्माण तथा 'प्रपा' का जीर्णोद्धार कराना।
४. शत्रुजय पर्वत-(१) 'प्रादिनाथ' मन्दिर के आगे स्थित 'इन्द्रमण्डप' का निर्माण • (२) उज्जयन्त स्थित दो जिन मन्दिरों-नेमिनाथ मन्दिर तथा जिन स्तम्भन मन्दिर (पार्श्वनाथ मन्दिर) का निर्माण''। (३) सरस्वती देवी की प्रतिमा का जीर्णोद्धार २ (४) पूर्वजों की प्रतिमानों का जीर्णोद्धार'3 (५) तीन गजमूर्तियों की स्थापना, जिनके ऊपर स्वयं वस्तुपाल की, उसके भाई तेजपाल की तथा राजा वीरधवल की प्रतिमायें भी स्थित थीं।१४ (६) अवलोकना, अम्बा प्रद्युम्न तथा शाम्ब नामक चार गिरनार पर्वत के शिखरों की प्रतिमाओं की स्थापना करना । ५
१. सुकृत०, ११५ २. सुकृत०, ११.६, वस्तु०, ४.७२१ ३. सुकृत०, ११.७, वस्तु०, ४.७१८ ४. सुकृत०, ११.६, ४.३६ ५. सुकृत्०, ११.१०, कीर्ति०, ४.३३ ६. सुकृत०, ११.११, वस्तु०, ३.४५७ ७. सुकृत०, ११.२२ ८. सुकृत०, ११.१३ ६. सुकृत०, ११.१३-१४ १०. सुत०, ११.१५, वस्तु०, ६.३०, कीर्ति०, ६.२५ ११. सुकृत०, ११.१६, वस्तु०, ६.१३१-३२, कीर्ति०, ६.३१-३३ १२. सुकृत०, ११.१७ १३. सुकृत०, ११.१८, वस्तु०, ६.६३३, कीर्ति०, ६.३४ १४. सुकृत०, ११.१६, वस्तु०, ६.३३-३४ १५. सुकृत०, ११.२०, वस्तु०, ६.६३१