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जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज
श्रेणि का भी अस्तित्व रहा था जो अनेक प्रकार की विद्यानों में सिद्ध हस्त होती थी। जैन साहित्य में विद्या देवियों का भी उल्लेख पाता है। हरिवंश पुराण में नमि और विनमि को अदिति देवी द्वारा विद्याओं के पाठ निकाय तथा गन्धर्व सेनक नामक विद्याकोश के दान देने का उल्लेख भी आया है।' ये जैन विद्याएं अधिकांश रूप से ज्योतिष, खगोलशास्त्र, निमित्त शास्त्र एवं प्राकृतिशास्त्र आदि से सम्बद्ध हैं। तीर्थङ्कर महावीर से भी पूर्ववर्ती ज्ञान विज्ञान के जिन 'चौदहपूर्वो' में जैन परम्परागत विद्याओं की जो विषय तालिका प्राप्त होती है उसमें दर्शन, प्राचार, समाज, लिपि, गणित, आयुर्वेद, ज्योतिष आदि से सम्बद्ध मानवीय चिन्तन की प्राचीन गतिविधियां उपनिबद्ध रहीं थीं। जैन परम्परा में अनेक चामत्कारिक विद्याओं के अस्तित्व की भी सूचना मिलती है जो मंत्र, तन्त्र तथा जादू टोने से साधे जा सकते थे परन्तु जैन मुनियों के लिए इनकी सिद्धि निषिद्ध मानी गई है। उपविद्याओं के रूप में बहत्तर कलाएं
चन्द्रप्रभचरित महाकाव्य में 'विद्या' तथा 'उपविद्या' की चर्चा आई है। इसी महाकाव्य पर रचित विद्वन्मनोवल्लभा टीका के अनुसार आन्वीक्षिकी, त्रयी, वार्ता तथा दण्डनीति को 'विद्या' तथा चौसठ कलाओं को 'उपविद्या' के रूप में पारिभाषित किया गया हैं। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि चन्द्रप्रभ महाकाव्य के टीकाकार ने वैदिक परम्परा सम्मत 'विद्या' तथा 'उपविद्या' की अवधारणा को प्रस्तुत किया है । जैन विद्यानों तथा कलात्रों की मान्यता वैदिक शिक्षा परम्परा के मूल्यों पर ही अवलम्बित थी। वात्स्यायनकृत कामसूत्रोक्त५ ६४ कलाओं तथा जैन आगमोक्त बहत्तर कलाओं में भी विशेष अन्तर देखने को नहीं मिलता। पद्मानन्द महाकाव्य में १६ विद्याओं के साथ ७२ कलाओं का भी उल्लेख आया है जो इस तथ्य का प्रमाण है कि जैन लेखक मध्यकाल में भी जैन परम्परागत कलाओं अथवा उपविद्याओं को महत्त्व देते थे। पद्मानन्द महाकाव्य में निर्दिष्ट ७२ कलाओं के नाम
१. विशेष द्रष्टव्य, जैन प्राच्य विद्याएं (सम्पादकीय), आस्था और चिन्तन,
आचार्य रत्न श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ, पृ० ४-५ २. वही, प० ५ ३. विद्योपविद्या विधिना विदित्वा । -चन्द्र०, ४.३ ४. वही, विद्वन्मनोवल्लभा टीका, प० ६४ ५. कामसूत्र, १.३.१६ ६. अभिधान राजेन्द्र कोश, भाग ३, पृ० ३७७-३७८ ७. विद्यानाम्नेति षोडस । –पद्मा० १३.१७२, द्वयधिकसप्तति कलाः ।
-वही, १०.७६