Book Title: Jain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Author(s): Shreepalchandra Yati
Publisher: Pandurang Jawaji
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चतुर्थ अध्याय । ८-अश्मरी (पथरी)-पथरी का रोग भी पानी के विकार से ही उत्पन्न होता है, लोग यह समझते हैं कि-भोजन में धूल अथवा कंकड़ों के आ जाने से पेट में जाकर पथरी बंध जाती है, परन्तु यह उन की भूल है, क्योंकि-पथरी का मुरय हेतु खारवाला जल ही है अर्थात् खारवाले जल के पीनेसे पथरी हो जाती है।
पानी की परीक्षा तथा स्वच्छ करने की युक्ति। अच्छा पानी रंग वास तथा स्वाद से रहित, निर्मल और पारदर्शक होता है, यदि पानी में सेवाल अथवा वनस्पति का मेल होता है तो पानी नीले रंग का होजाता है तथा यदि उस में प्राणियों के शरीर का कोई द्रव्य मिला होता है तो वह पीले रंग का हो जाता है।
यह पि पानी की परीक्षा कई प्रकार से हो सकती है तथापि उस की परीक्षा का सामान्य और सुगम उपाय यह है कि-पानी को पारदर्शक साफ काच के प्याले में भर दिया जावे तथा उस प्याले को प्रकाश ( उजाले) में रक्खा जाये तो पानी का असाली रंग तथा मैलापन मालूम हो सकता है।
किमी २ पानी में वास होने पर भी अनेक वार पीने से अथवा सूबने से वह एकदम नहीं मालूम होती है परन्तु ऐसे पानी को उबाल कर उस की वास लेने से (र दि उस में कुछ वास हो तो) शीघ्र ही मालूम हो जाती है। ___ यह जो पानी की परीक्षा ऊपर लिखी गई है वह जैन लोगों में प्रचलित प्राचीन परीक्षा है, परन्तु पानी की डाक्टरी ( डाक्टरों के मतके अनुसार ) परीक्षा इस प्रकार है कि पानी को एक शीशी में भर कर उस को खूब हिलाना चाहिये, पीछे उस पानी को सूंघना चाहिये, इस के सिवाय दूसरी परीक्षा यह भी है किपानी में पोटास डालने से यदि वह वास देवे तो समझ लेना चाहिये किपानी लच्छा नहीं है। ___ यह भी जान लेना चाहिये कि-पानी में दो प्रकार के पदार्थों की मिलावट होती है -उन में से एक प्रकार के पदार्थ तो वे हैं जो कि पानी के साथ पिघल कर उस में मिले रहते हैं और दूसरे प्रकार के वे पदार्थ हैं जो कि-पानी से अलम होकर जाने वाले हैं परन्तु किसी कारण से उस में मिल जाते हैं।
काच के प्याले में पानी भर कर थोड़ी देर तक स्थिर रखने से यदि तलभाग में कुछ पदार्थ बैठ जावे तो समझ लेना चाहिये कि-इस में दूसरे प्रकार के पदार्थों की मिलावट है।
१-अनल में यह बात माधवाचार्य के भी देखने में नहीं आई ऐसा प्रतीत होता है, किन्तु प्राचीन जन सोमाचार्य ने जो बात लिखी है उसी को आधुनिक डाक्टर लोग भी मानते हैं । २-पानी के विकार से होनेवाले ये कुछ मुख्य २ रोग लिखे गये हैं, तथा यह अनुभवसिद्ध है, यदि इन में किसी को शंका हो तो परीक्षा कर निश्चय कर सकता है।
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