Book Title: Jain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Author(s): Shreepalchandra Yati
Publisher: Pandurang Jawaji
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जैनसम्प्रदायशिक्षा।
के खाने की इच्छा से यह (लाल मिर्च ) खानी ही पड़ती है इत्यादि, यह उन लोगों का कथन बिलकुल भूल का है, क्योंकि चरपरी चीज़ के खाने की इच्छावाले लोगों के लिये लाल मिर्च के सिवाय बहुत सी ऐसी चीजें हैं कि जिन से उन की इच्छा पूर्ण हो सकती है, देखो! अदरख, काली मिर्च, सोंठ और पीपल आदि बहुत से चरपरे पदार्थ हैं तथा गुणकारक भी हैं, इस लिये जब चरपरे पदार्थ के खाने की इच्छा हो तब इन ( अदरख आदि) वस्तुओं का सेवन कर लेना चा हेये, यदि विशेष अभ्यास पड़ जाने के कारण किसी से लाल मिर्च के बिना रहा हो न जावे अथवा लाल मिर्च का जिन को बहुत ही शौक पड़ गया हो, उन लोगों को चाहिये कि जयपुर जिले की लाल मिर्च के बीजों को निकाल कर रात को एक वा दो मिर्चे जल में भिगो कर प्रातःकाल पीसकर तथा घी मे सेक कर थोड़ी सी खा लेवें।
यह भी स्मरण रखना चाहिये कि-खट्टे रस का तोड़ (दाउन या उर) नमक है और नमक का तोड़ खट्टा रस है।
बघार देने के लिये जीरा, हींग, राई और मेथी मुख्य वस्तुयें हैं तथा वायु और कफ की प्रकृतिवालों के लिये ये लाभदायक भी हैं। . __ अचार और राइता-अचार और राइता पाचनशक्ति को तेज करता है परन्तु स्मरण रखना चाहिये कि जो २ पदार्थ पाचनशक्ति को बढ़ाते हैं और तेज़ हैं, यदि उन का परिमाण बढ़ जावे तो वे पाचनशक्ति को उलटा विगाड़ देते हैं, बहुत से लोग अचार, राइता, तेल, राई, नमक और मिर्चआदि तेज पदारों से जीभ को तहडूब कर देते हैं सो यह ठीक नहीं है, ये चीजें हमेशह कम खानी चाहिये, यदि ये खाई भी जावें तो मिठाई आदि तर माल के साथ खानी चाहियें अर्थात् सदा नहीं खानी चाहियें, क्योंकि इन चीजों के सेवन से खून बिगड़ जाता है, और खून के बिगड़ने से मन्दाग्नि होकर शरीर में अनेक रोग हो जाते है, इस लिये इन चीजों से सदा बचकर रहना चाहिये, देखो ! मारवाड़ के निवार । और गुजराती आदि लोग इन्हीं के कारण प्रायः वीमार होते हैं, आगरे तथा दिदी से लेकर ब्रह्मा के देश तक लोग लाल मिर्च को नहीं खाते हैं, यदि खाते भी हैं तो बहुत ही युक्ति के साथ खाते हैं ।
१-लाल मिर्च के बीजों को खानेसे वीर्य को बड़ा भारी नुकसान पहुँचता है, इसलिये वीजों को बिलकुल नहीं खाना चाहिये ।। २-खट्टे रस में नींबू अमचुर और कोकम पाने के योग्य हैं, परन्तु यदि प्रकृतिके अनुकूल हों तो खाना चाहिये ।। ३-अचार और रारा ता कई प्रकार का बनता है-उस के गुण उसके उत्पादक पदार्थ के समान जानने चाहिये, तथ इन में मसालों के होने से उन के तीक्ष्णता आदि गुण तो रहते ही हैं ! ४-विवेकहीन लोग इस बात को नहीं समझते हैं, देखो ! इन्हीं चीजों से तो पाचनशक्ति बिगड़ती है और इन्हीं चीजों का सेवन पाचनशक्ति के सुधार के लिये लोग करते हैं ।
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