Book Title: Jain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Author(s): Shreepalchandra Yati
Publisher: Pandurang Jawaji

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Page 748
________________ ७३४ जैनसम्प्रदायशिक्षा। - ४४४-हे पूछनेवाले! जिस काम का तू वारंवार विचार करता है वह तुझे शीघ्रही प्राप्त होगा अर्थात् पुत्र का लाभ, ठिकाने का लाभ, गई हुई वस्तु का लाभ तथा धन का लाभ, ये सब कार्य बहुत शीघ्र होंगे। प्रदेशगमनादिविषयक शकुन विचार । १-यदि ग्राम को जाते समय कुमारी कन्या, सधवा (पतिवाली) स्त्री, गाय, भरा हुआ घड़ा, दही, भेरी, शङ्ख, उत्तम फल, पुष्पमाला, विना धूम की अग्नि, घोड़ा, हाथी, रथ, बैल, राजा, मिट्टी, चंवर, सुपारी, छत्र (छाता), सिद्ध (तैयार किये हुए) भोजन से भरा हुआ थाल, वेश्या, चोरों का समूह, गडुआ, आरसी, सिकोरा, दोना, मांस, मद्य, मुकुट, चकडोल (यानविशेष), मधुसहित घृत, गोरोचन, चावल, रत्न, वीणा, कमल, सिंहासन, सम्पूर्ण हथियार, मृदङ्ग आदि सम्पूर्ण बाजे, गीत की ध्वनि, पुत्र के सहित स्त्री, बछड़े के सहित गाय, धोये हुए वस्त्रों को लिये हुये धोबी, ओघा और मुँहपत्ती के सहित साधु, तिलक के सहित ब्राह्मण, बजाने का नगारा तथा ध्वजापताका इत्यादि शुभ पदार्थ सामने दीख पड़े अथवा गमन करने के समय-'जाओ जाओ' 'निकलो' 'छोड़ दो' 'जय पाओ' 'सिद्धि करो' 'वाञ्छित फल को प्राप्त करो' इसप्रकार के शुभ शब्द सुनाई देवें तो कार्य की सिद्धि समझनी चाहिये अर्थात् इन शकुनों के होने से अवश्य कार्य सिद्ध होता है। २-ग्राम को जाते समय यदि सामने वा दाहिनी तरफ छींक होवे, काँटे से वस्त्र फट जावे वा उलझ जावे, वा काँटा लग जावे, वा कराहने का शब्द सुनाई पड़े, अथवा साँप का वा बिलाव का दर्शन हो तो गमन नहीं करना चाहिये। __ ३-चलते समय यदि नीलचास, मोर, भारद्वाज और नेउला दृष्टिगत हो तो उत्तम है। . ४-चलते समय कुक्कुट (मुर्गे) का बाईं तरफ बोलना उत्तम होता है । ५-चलते समय बाईं तरफ राजा का दर्शन होने से सब कष्ट दूर होता है । ६-चलते समय बाईं तरफ गधे के मिलने से मनोवाञ्छित कार्य सिद्ध होता है। ७-चलते समय दाहिनी तरफ नाहर के मिलने से उत्तम ऋद्धि सिद्धि होती है। ८-चलते समय सम्पूर्ण नखायुधों का बाईं तरफ मिलना तथा घुसते समय दाहिनी तरफ मिलना मङ्गलकारी होता है। ९-चलते समय गधे का बाईं तरफ मिलना तथा घुसते समय दाहिनी तरफ मिलना उत्तम होता है। १०-पीछे तथा सामने जब गधा बोलता हो उस समय गमन करना चाहिये । १-उत्तम शब्द का अर्थ सर्वत्र शुभफलदायक समझना चाहिये। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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